राधा अष्टमी : व्रत, पूजन और करें मंत्रजाप, लाडलीजी होंगी प्रसन्न, करेंगी मनोरथ पूर्ण
बीकानेर। राधा के बिना कृष्ण और कृष्ण के बिना राधा अधूरी मानी जाती हैं. माना जाता है कि राधा-कृष्णा का नाम जपने से जीवन तृप्त हो जाता है। सनातन धर्म में राधा-कृष्ण की जोड़ी प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। ऐसा भी माना गया है कि जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण पूजा के बाद, राधा अष्टमी पर राधा रानी की पूजा जरूर करें, इससे जन्माष्टमी की पूजा का फल जरूर मिलता है।
11 सितंबर को राधाष्टमी है. इस दिन शुभ संयोग भी बन रहा है। ज्योतिर्विद पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि राधा अष्टमी के दिन कई शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. राधा अष्टमी के दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है।
राधा अष्टमी के दिन राधा-कृष्ण की पूजा करते समय श्रृंगार का सामान राधा रानी को अवश्य अर्पण करना चाहिए. इससे राधा रानी प्रसन्न होती हैं और जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है. जन्माष्टमी और राधा अष्टमी के दिन व्रत रखकर राधे-कृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि और प्रेम बढ़ता है। जो लोग राधा अष्टमी की कथा सुनते हैं, उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा उनका जीवन सुखमय होता है।
राधाजी के मंत्र का जाप करने से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि राधाजी की पूजा के बिना भगवान कृष्ण की पूजा अधूरी है। श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र, राधा कवच, श्रीराधा नाम महात्म्य स्तोत्र, राधाषोडशनाम स्तोत्रम् स्तोत्र का पाठ करने से हर प्रकार की मनोकामना पूरी होती है साथ ही धन की कभी कमी नहीं रहती व परिवारिक प्रेम भी बढ़ता है।