निजी हॉस्पिटल्स का निर्णय : नहीं करेंगे चिरंजीवी-आरजीएचएस में इलाज
जयपुर। प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल्स में बंद रही ओपीडी बिल के विरोध में आज प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों ने अपने-अपने हॉस्पिटल में आज सुबह 8 बजे से कल सुबह तक ओपीडी और इमरजेंसी सर्विस को बंद रखा है।
विधानसभा की प्रवर समिति की बैठक हुई। बैठक में किसी बात की सहमति नहीं बनने पर प्राइवेट हॉस्पिटल्स की ओर से यह निर्णय लिया गया कि अब से वे क्रत्र॥स् (राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) और चिरंजीवी योजना के तहत इलाज नहीं करेंगे। यानी अब कैश या मेडिक्लेम पर ही प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज मिलेगा।
प्रवर समिति की बैठक में कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद ये बैठक दोबारा 15 फरवरी को दोबारा बैठक बुलाई है। इसके साथ ही अब निर्णय किया है कि हॉस्पिटल में चिरंजीवी योजना और आरजीएचएस के तहत इलाज करवाने आने वाले मरीजों को इस योजना के तहत ट्रीटमेंट सुविधा नहीं दी जाएगी। स्टेट जॉइंट एक्शन कमेटी के सदस्य डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि आज हमने इस बिल के विरोध में सभी सरकारी हॉस्पिटल में 2 घंटे ओपीडी का बहिष्कार करके सरकार को एक मैसेज दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तो हम आगे इससे भी बड़ा विरोध और आंदोलन करेंगे।
राजस्थान में 1500 से ज्यादा हॉस्पिटल में दिखेगा असर
इस निर्णय का असर राजस्थान के 1500 से ज्यादा हॉस्पिटल में दिखेगा। डॉ. कपूर के मुताबिक राज्य में वर्तमान में करीब 2 हजार प्राइवेट हॉस्पिटल संचालित है। इनमें 75 फीसदी हॉस्पिटल ऐसे है, जो आरजीएचएस और चिरंजीवी योजना के तहत सर्विस देते है। इस तरह कल से कोई भी मरीज इलाज के लिए अगर यहां आता है तो उनको ये हॉस्पिटल इन योजनाओं के तहत ओपीडी-आईपीडी सर्विस नहीं देंगे। आरजीएचएस के तहत अभी प्राइवेट हॉस्पिटल में 150 से 250 रुपए में ओपीडी शुल्क लिया जाता है।
प्रदेश में करीब 1 करोड़ 37 लाख 82 हजार 951 परिवार चिरंजीवी में रजिस्टर्ड है। 29 लाख 48 हजार 207 लाख लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। इसके तहत प्रत्येक परिवार के लिए 10 लाख के कैशलेस बीमा की सुविधा है। जिसे सरकार ने हाल ही में अपने बजट में बढ़ाकर 25 लाख कर दिया है। वहीं आरजीएचएस में प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को फायदा दिया जाता है। इसमें करीब 8 लाख से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हैं।