पितृदोष व कालसर्प दोष को दूर करने में शुभ है आषाढ़ी अमावस्या
बीकानेर। इस साल आषाढ़ अमावस्या 18 जून को है। इसे अषाढ़ी अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी, सरोवर में स्नान और पितरों के निमित्त दान व तर्पण करने का विधान रहता है। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
अमावस्या तिथि पितृदोष और कालसर्प दोष को दूर करने के लिए काफी शुभ मानी जाती है। इसके अलावा इस दिन कुछ उपायों को करने से पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। पं. गिरधारी सूरा ने पितृ दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ घरेलू व सरल उपाय को बताए हैं जिनके करने से व्यक्ति की हर मुश्किल दूर होगी और वह कामयाबी को हासिल करने में सक्षम बन सकेगा।
कालसर्प दोष के उपाय
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे आषाढ़ अमावस्या के दिन शिवजी की पूजा करनी चाहिए। ध्यान रहे यह पूजा राहुकाल में ही करनी चाहिए, क्योंकि कुंडली में राहु और केतु की विशेष स्थिति के कारण कालसर्प दोष पैदा होता है। इसके अलावा इस दिन स्नान करने के बाद नदी के तट पर नाग और नागिन के जोड़े की पूजा करें। पूजा के बाद इस जोड़े को नदी में प्रवाहित कर दें।
ये उपाय करें
1 अमावस्या के दिन घर में पितरों का विधिवत पिंडदान, पूजन अर्चन कर, तर्पण व हवन करना चाहिए और यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र व दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। 2. पीपल के वृक्ष पर जल, पुष्प, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ायें व तेल का दीपक करें। 3. पितरों के निमित वस्तु (वस्त्र व अन्न) का दान करें। 4. पितृ स्तोत्र, नाग स्तोत्र, नवचंडी पाठ, गीता पाठ, महामृत्युंजय व श्रीमदभागवत का पाठ (जो आपसे नियमित हो सके कोई एक पाठ) करना चाहिए। घर में जहां पानी का स्थान हो वहां सायं के समय दीपक करना चाहिए। पितरों के निमित जरुरतमंद विद्यार्थियों की सहायता करने व दिवंगत परिजनों के निमित पानी पीने का स्थान (प्याऊ) अस्पताल, मन्दिर व धर्मशाला का निर्माण कराना चाहिए।