श्रेष्ठ संयोगों से भरी है हरियाली अमावस्या, करें पुण्य कार्य
सावन मास में हरियाली अमावस्या आती है। इस बार 4 अगस्त 2024 रविवार के दिन हरियाली अमावस्या रहेगी। इस बार इस अमावस्या पर सूर्योदय से लेकर दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा। इसी के साथ सुबह 10:38 तक सिद्ध योग भी रहेगा।
पौधा रोपण : हरियाली अमावस्या के दिन पौधा रोपण या वृक्षारोपण का बहुत महत्व है। आम, आंवला, केला, नींबू, तुलसी, पीपल, वटवृक्ष और नीम के पौधों को रोपने का विशेष महत्व बताया गया है। वृक्ष रोपण करने ग्रह नक्षत्र और पितृदोष शांत हो जाते हैं। इसके शांत होने से धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है।
व्रत : इस दिन व्रत करने का भी बहुत महत्व बताया गया है। सभी तरह के रोग और शोक मिटाने हेतु विधिवत रूप से इस दिन व्रत रखा जाता है। इसके मिटने से जीवन में आ रही आर्थिक परेशानी दूर हो जाती है।
दीपदान : इस दिन दान के साथ ही दीपदान भी करना चाहिए। इस दिन आटे के दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करने से पितृदेव और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। इस दिन शनिदेवजी के मंदिर में विधि अनुसार दीपक लगाने से वे प्रसन्न होते हैं। इससे घर में आर्थिक तंगी दूर हो जाती है।
मछली को दाना : इस दिन किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाने से धन समृद्धि की प्राप्ति होती है।
चींटियों को आटा : इस दिन घर के पास चींटियों को सूखे आटे में चीनी मिलाकर खिलाने से संभी तरह के संकट दूर होते हैं और समृद्धि के रास्ते खुलते हैं हरियाली अमावस्या की रात्रि में पूजा करते समय पूजा की थाली में स्वास्तिक या ? बनाकर और उस पर महालक्ष्मी यंत्र रखें फिर विधिवत पूजा अर्चना करें, ऐसा करने से घर में स्थिर लक्ष्मी का वास होगा और आपको सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी।
दान पुण्य : इस दिन किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद उसे दान दक्षिणा दें। मंदिर के बाहर बैठे किसी गरीब को भी भोजन कराएं या दान दें। दान देने से धन बढ़ता है। इस दिन गेहूं और ज्वार की धानी का प्रसाद वितरण करें।
पूजन : हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिवजी का पूजन-अर्चन किया जाता है। शिवजी को सफेद आंकड़े के फूल, बिल्व पत्र और भांग, धतूरा चढ़ाएं। शिवजी और श्रीविष्णु के मंत्रों का जाप और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें
पितृ शांति : इस दिन पितृदोष से मुक्ति हेतु पितृ शांति के उपाय किए जाते हैं। नदी या कुंड में स्नान करके पितरों के निमित्त तर्पण करें। इस दिन पितृसूक्त पाठ, गीता पाठ, गरुड़ पुराण, गजेंद्र मोक्ष पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच का पवित्र पाठ या पितृ देव चालीसा और आरती करें।
पीपल परिक्रमा : इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करके उसकी परिक्रमा की जाती है। इसी के साथ ही पीपल के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए। पीपल में श्री विष्णु एवं माता लक्ष्मी का वास रहता है।
हनुमान पूजा : इस दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। इससे आपके सभी संकट समाप्त होंगे और समृद्धि के रास्ते खुलेंगे।