तीन दिन से भूखे हैं दो पूर्व खिलाड़ी, हवन कर शिक्षा विभाग को सद्बुद्धि की प्रार्थना की
बीकानेर। सादुल स्पोर्ट्स स्कूल, राजस्थान का इकलौता आवासीय खेल विद्यालय, शिक्षा विभाग की लापरवाही का शिकार बन चुका है। खिलाडिय़ों के सपनों की इस अनदेखी के खिलाफ क्रीड़ा भारती के बैनर पर पूर्व कप्तान राजस्थान बास्केटबॉल टीम दानवीर सिंह भाटी व राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी भैरूरतन ओझा की भूख हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही। शिक्षा विभाग को ‘सदबुद्धिÓ दिलाने के लिए अब ईश्वर की शरण ली गई है और स्कूल के सामने हवन कर भगवान से अधिकारियों को जगाने की प्रार्थना की गई। 18 नवंबर से जारी इस भूख हड़ताल ने सादुल स्पोर्ट्स स्कूल की दुर्दशा को उजागर कर दिया है। डाइट मनी 17 साल से 100 रुपए पर अटकी है, न हॉस्टल में गर्म पानी, ना गीजर और न ही प्रशिक्षक और न ही खेल उपकरणों का बजट। बच्चों का खाना चपरासी बना रहे हैं और खेल मैदानों का हाल खुद उनकी मेहनत पर छोड़ा गया है।
शिक्षा विभाग की उदासीनता खेलों की हत्या : गजेन्द्रसिंह
दानवीर सिंह भाटी ने कहा, सादुल स्पोर्ट्स जैसे ऐतिहासिक विद्यालय की इस हालत पर शर्म आनी चाहिए। 17 साल में 1 रुपए की बढ़ोतरी तक न करना विभाग की सोच को उजागर करता है। तीसरे दिन हवन करते क्रीड़ा भारती बीकानेर अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने शिक्षा विभाग की चुप्पी पर कटाक्ष करते हुए कहा, खिलाड़ी अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग अब तक सो रहा है। अगर अधिकारी जागने को तैयार नहीं, तो भगवान से ही उनकी सदबुद्धि की उम्मीद करनी पड़ेगी। यह संघर्ष सिर्फ सादुल स्पोर्ट्स स्कूल का नहीं, बल्कि राजस्थान के खेल और खिलाडिय़ों के भविष्य का है। सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग अब भी अपनी आंखें खोलेगा या खिलाडिय़ों को उनके अधिकार के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ेगा।