अभी और बढ़ेंगी महंगाई…देखें आंकड़े
देेश में एक बार फिर सब्जियों के दाम बढऩे लगे हैं। सब्जियों के साथ ही चावल, गेहूं का आटा, दाल जैसे खाने का समान भी महंगा है। इस वजह से देश में थोक महंगाई दर में इजाफा हुआ और आरबीआई को इसका असर महंगाई दर पर पडऩे की चिंता सताने लगी। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में कहा कि खाद्य वस्तुओं के अनिश्चित एवं लगातार बदल रहे दाम महंगाई दर को प्रभावित कर सकते हैं। 6 से 8 दिसंबर तक हुई आरबीआई की बैठक का ब्यौरा शनिवार को जारी किया गया। दास ने कहा कि खाद्य कीमतों की अनिश्चितता और कमजोर मौसम की मार महंगाई पर बुरा असर डाल सकती है। हमें इन सभी चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यदि सब्जियों की कीमतें बढ़ीं तो महंगाई दर में भी उछाल आ सकता है। हमें महंगाई बढऩे के किसी भी संकेत के प्रति अत्याधिक सतर्क रहना होगा। इसे नीचे लाने की प्रक्रिया हमें पटरी से उतार सकती है। उल्लेखनीय है कि आरबीआई के प्रयासों से देश की थोक महंगाई दर अप्रैल से अक्टूबर तक स्थिर रही। हालांकि नवंबर में यह बढ़कर 0.26 प्रतिशत हो गई। खाद्य पदार्थों, खासकर प्याज तथा सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल से इसमें बढ़ोतरी हुई। चावल, गेहूं का आटा, दाल जैसे खाने का समान महंगा होने से कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 7.37 प्रतिशत हो गई, वहीं ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह 7.13 प्रतिशत रही। अक्टूबर में कृषि श्रमिकों की खुदरा मुद्रास्फीति 7.08 प्रतिशत और ग्रामीण श्रमिकों की खुदरा मुद्रास्फीति 6.92 प्रतिशत थी।