गुरु पूर्णिमा पर करें ये जरुरी कार्य, मिलेगा श्रेष्ठ फल

सद्मार्ग दिखाने वाला गुरु और संकट के समय साथ देने वाला गुरु होता है। गुरु की महिमा के बारे में जाने-माने ज्योतिर्विद पं. गिरधारी सूरा ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का दिन शिष्यों के लिए एक अलग ही महत्व रखता है। इस दिन गुरु का शिष्य के प्रति एक आत्मीयता का सम्बन्ध होता है। हर धर्मावलंबी अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और आस्था प्रकट करता है।
आचार्यपुत्र: शुश्रुषुर्ज्ञानदो धार्मिक: शुचि:।
आप्त:शक्तोर्थद: साधु: स्वाध्याप्योदश धर्मत:।।

पं. गिरधारी सूरा के अनुसार शास्त्रों में गुरु शब्द का अर्थ बताया गया है कि गु-अंधकार या मूल अज्ञान और रु- उसको हटाने वाला। अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाला ही गुरु होता है। साथ में धर्म के मार्ग से जोड़ता है, जीवन में सफलता के लिए हर व्यक्ति गुरु के रूप में श्रेष्ठ मार्गदर्शक, सलाहकार, समर्थक व गुणी व्यक्ति की चाहत रखता है। ज्योतिष के मुताबिक, गुरु पूर्णिमा वाले दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और बुधादित्य राजयोग बन रहा है। इन शुभ योग में गुरुओं से दीक्षा लेना शुभफलदायी होगा। गुरु की चरण वंदना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और सफलता मिलेगी। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के आशीर्वाद से धन-संपत्ति, सुख-शांति और वैभव का वरदान पाया जा सकता है. इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई को मनाया जाएगा। आषाढ़ माह की पूर्णिमा पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।
‘कृष्णम् वंदे जगत् गुरु’
पं. गिरधारी सूरा ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर ज्योतिष उपाय करने से सफलता मिलती है। जिस जातक को बार-बार जीवन में संघर्ष व परिश्रम के पश्चात् सफलता प्राप्त नहीं हो रही है। कुंडली में गुरु ग्रह खऱाब व नीच राशि का हो या अशुभ दृष्टि हो तो जातक को गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का पूजन करना चाहिए। जिस किसी के गुरु नहीं बनाया हुआ है तो ‘कृष्णम् वंदे जगत् गुरु’ सबका कृष्ण ही गुरु है। इन जनउपयोगी हितार्थ के उपायो से आप जिंदगी में सफलता हासिल कर सकते हैं। किसी ब्राह्मण को पीले वस्त्र व पीली वस्तु का दान करें। गुरु यंत्र की पूजा व गुरु मन्त्र का जाप करें। जिनकी कुंडली में संतान बाधा, धन की कमी, दाम्पत्य जीवन में समस्या, पढ़ाई में तकलीफ है तो पुष्कराज रत्न पहनें, विष्णु सहस्त्रनाम, संतान गोपाल पाठ, महादेव पर केसर मिश्रित दूध से अभिषेक, श्रीमद्भागवत कथा करें या किसी ब्राह्मण से करावें और बच्चों को टॉफी व उपहार दें। जिनके विवाह में बाधा आ रही हो वो इस दिन गुरु पूजन कर पीली वस्तु का दान करें। पीले पुष्प से गुरूजी व कृष्ण भगवान का नामावली से अर्चन करे और श्री गुर्वष्टकम्, गुरु पदारविंदधुलिषट्पदं का पाठ करें।

इस तरह से करें गुरुदेव का पूजन अर्चन
प्रात: काल स्नान आदि से निवृत होकर गुरु की सेवा में उपस्थित होकर उनका षोडशोपचार से पूजन अर्चन करें, क्योंकि गुरूजी को देवताओं की तरह माना गया है। दाहिने पैर के अंगूठे का अभिषेक व अर्चन कर गुरु चरणामृत माहात्म्य से अमृत का पान करें व शिरोधार्य करें। गुरुजी के ललाट का पूजन व पुष्पहार, वस्त्र, नैवेध, नारियल, दक्षिणा आदि अर्पित करने के बाद आरती पुष्पांजलि करें।