अगर कर रहे है आईएएस, आईपीएस, आईएफएस की तैयारी, तो पढ़ें ये खबर
नई दिल्ली। संघ लोक सेवा आयोग की भर्तियों में फर्जीवाड़ा रोकने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने अहम फैसला किया है। पहली बार यूपीएससी को पंजीकरण के साथ परीक्षाओं और भर्ती के विभिन्न चरणों के दौरान स्वैच्छिक आधार पर अभ्यर्थियों की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण की मंजूरी दी गई है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की अधिसूचना के मुताबिक यूपीएससी अब ‘वन टाइम रजिस्ट्रेशनÓ पोर्टल पर पंजीकरण के समय और परीक्षा के विभिन्न चरणों में अभ्यर्थियों की पहचान का सत्यापन आधार के माध्यम से करेगा। अभ्यर्थियों के पास आधार सत्यापन के लिए हां या न का विकल्प होगा। आयोग आधार (वित्तीय, अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 के नियमों और विनियमों के साथ भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के निर्देशों का पालन करेगा। आधार यूआइडीएआइ की ओर से सभी पात्र नागरिकों को बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर जारी किया जाने वाला 12 अंकों का नंबर है।
सरकार का फैसला पूजा खेडकर मामले से जोडकऱ देखा जा रहा है। खेडकर पर आइएएस बनने के लिए धोखाधड़ी के आरोप लगने के बाद यूपीएससी की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे थे। खेडकर के भविष्य की सभी परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक लगाई जा चुकी है। परीक्षाओं में धोखाधड़ी रोकने और परीक्षा शुचिता सुनिश्चित करने के लिए यूपीएससी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी अपनाने का फैसला कर चुका है। यूपीएससी मेन्स की 20 सितंबर को होने वाली परीक्षा में नकल रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का इस्तेमाल किया जाएगा।
यूपीएससी ने कहा था कि उसे आधार बेस्ड फिंगर प्रिंट, फेशियल रिकगनिशन, एडमिट कार्ड स्कैन करने के लिए क्यूआर कोड और एआइ आधारित सीसीटीवी सर्वेलांस की जरूरत है। इसके लिए यूपीएससी को अभ्यर्थियों का ई-केवाईसी डेटा उपलब्ध कराया जाएगा।