शुद्ध और स्वच्छ मन से करें माँ लक्ष्मी का पूजन, धन की होगी वृद्धि, कर्ज से मिलेगी मुक्ति
बीकानेर। 12 नवंबर 2023 रविवार को दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस दिन 700 साल बाद 5 राजयोग, 3 शुभ योग और 1 सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा होगी। यानी कुल 8 दुर्लभ संयोग और 1 मुहूर्त में में पूजन करने से स्थायी रूप से माता लक्ष्मी का घर में वास होगा। इसके लिए स्थिर लग्न में पूजन करना भी उत्तम माना गया है।
इस तरीके से करें पूजन
विशेष मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं। माता लक्ष्मी के मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। धूप, दीप जलाएं। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए। फिर देवी के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए। पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है। लक्ष्मी कारक योग में पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है तो दूसरी ओर अच्छी और शुद्ध भावना से लक्ष्मी की पूजा से धन और समृद्धि बढ़ती है। ध्यान रखें कि इस दिन लक्ष्मी पूजा के साथ ही सरस्वती, गणेश और कुबेरजी की पूजा भी की जाती है। सामान्यत: दीपावली पूजन का अर्थ लक्ष्मी पूजा से लगाया जाता है, किंतु इसके अंतर्गत गणेश, गौरी, नवग्रह षोडशमातृका, महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती, कुबेर, तुला, मान व दीपावली की पूजा भी होती है।
लक्ष्मी पूजा के समय सात मुख वाला घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। यह भी कहा जाता है कि लक्ष्मी माता की मूर्ति के सामने नौ बाती वाली घी का दीपक जलाने से जल्दी धन लाभ मिलता है और आर्थिक मामले में उन्नति होती है।
ह्व इस दिन लक्ष्मीजी को मखाना, सिंघाड़ा, बताशे, ईख, हलुआ, खीर, अनार, पान, सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर-भात आदि अर्पित किए जाते हैं। पूजन के दौरान 16 प्रकार की गुजिया, पपडिय़ां, अनर्सा, लड्डू भी चढ़ाएं जाते हैं। आह्वान में पुलहरा चढ़ाया जाता है। इसके बाद चावल, बादाम, पिस्ता, छुआरा, हल्दी, सुपारी, गेंहूं, नारियल अर्पित करते हैं। केवड़े के फूल और आम्रबेल का भोग अर्पित करते हैं।
ह्व प्रचलन के अनुसार कई घरों में पूजा के समय चांदी या सोने के लक्ष्मी-गणेश वाले सिक्के की पूजा भी की जाती है। साथ ही घर के सिक्कों की थैली, धन, चांदी व स्वर्ण को भी पूजा के दौरान रखकर उनकी भी पूजा की जाती है।
ह्व लक्ष्मी पूजन में स्थान और दिशा का ध्यान रखें। उत्तर या ईशान स्थान पर पूजा का पाठ या चौक रखें। आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
ह्व द्वार पर वंदनवार लगाएं, नियम से उचित संख्या में दीए लगाएं और मां लक्ष्मी के पदचिह्न मुख्य द्वार पर ऐसे लगाएं कि कदम बाहर से अंदर की ओर जाते हुए प्रतीत हों।
ह्व किसी भी महालक्ष्मी मंदिर में जाकर देवी लक्ष्मी को कमल के 11 फूल अर्पित करें।
ह्व दीपावली के दिन किसी भी मंदिर में झाड़ू का दान करें। इससे आपकी दरिद्रता दूर होगी और समृद्धि बढ़ेगी।
ह्व यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें। इससे देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
ह्व मिट्टी के घड़े पर लाल रंग करें और उसके ऊपर लाल रंग का धागा बांधें। अब इसमें जटायुक्त नारियल रखकर इसे दिन में बहते जल में प्रवाहित कर दें।
ह्व सफेद वस्त्र दान करें। भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे, और कुत्ते को दें। इससे जीवन में चले आ रहे सभी संकट दूर होंगे।
ह्व दिवाली की रात जब देवी लक्ष्मी की पूजा करें तो उनकी पूजा में पीली कौडिय़ां भी रख लें और पूजा के बाद इसे आप अपने तिजोरी में लाल कपड़े में बांध कर रख लें।