विश्व कल्याण एवं देश में सुख-समृद्धि की कामना के साथ राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज की नर्मदा परिक्रमा सम्पन्न

माँ नर्मदा को ओढ़ाई चुनरी, संत-महात्माओं व कन्याओं के पूजन व भोजन के साथ हुई पूर्णाहुति
बीकानेर। विश्व कल्याण व देश में सुख-समृद्धि की कामना हेतु राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज द्वारा संकल्पित नर्मदा परिक्रमा मंगलवार को सम्पूर्ण की गई। राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि परम परम पूज्य श्री सियाराम जी गुरु महाराज की कृपा एवं 1008 गुरुदेव श्रीरामदासजी महाराज के सान्निध्य में विगत 26 मार्च 2025 को नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ हुई जो 15 अप्रेल को सम्पूर्ण की गई। ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के दर्शन, विधिविधान से पूजन-हवन किया गया एवं माँ नर्मदा को चुनरी ओढ़ाकर मंगलकामनाएं की गई। संत-महात्माओं एवं कन्याओं को भोजन करवाया कर परिक्रमा की पूर्णाहुति की गई।
इस दौरान संत रघुवरदास, संत बालकदास, संत मंगलदासजी, संत विद्याधरदासजी महाराज का सान्निध्य रहा। परिक्रमा के दौरान पं. शुभम शुक्ला, चांदमल भाटी, कैलाश कस्वां, दूलीचंद गहलोत की सहभागिता रही। राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि नर्मदा परिक्रमा वाकई में एक ऐतिहासिक तीर्थ दर्शन यात्रा है। अलसुबह नर्मदाजी में स्नान के साथ ही नर्मदा पूजन व आरती के बाद यात्रा प्रस्थान और फिर शाम को पूजन-आरती का आयोजन होता था।
शाम से रात्रि के समय तक तप-ध्यान के साथ सभी श्रद्धालुओं के साथ संकीर्तन करना आत्मीय शांति मिलती थी। पुराणों में ऐसा कहा गया है कि एक बार नर्मदा यात्रा कर लेने से जिंदगी बदल जाती है, व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हालांकि, नर्मदा परिक्रमा को काफी कठिन माना जाता है और ये भी कहा जाता है कि नर्मदा परिक्रमा कर लेने से व्यक्ति को जीवन के कई सारे ज्ञान एक साथ हो जाते हैं।
