चतुर्थी को विराजित होंगे गणेश, अनंत चतुर्दशी पर होगा विसर्जन, घर के मुख्य दरवाजों पर करें पूजन, सुख-शान्ति व हर मनोकामना होगी पूर्ण
बीकानेर। सनातन धर्म के उपास्य देवो में श्री गणपति भगवान का स्थान सर्वोपरि है वे विघ्नों को हरने वाले और अग्रपूज्य हैं। गणेश चतुर्थी इस बार 7 सितम्बर 2024 को है और अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेशजी की प्रतिमा का विसर्जन होता है। ज्योतिर्विद पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि यह मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेशजी का जन्म हुआ था।
इस दिन घरों में, व्यापार में, बड़ी जगहों पर और हर घर के मुख्य दरवाजों पर गणेशजी का पूजन होता है। गणेशजी की उपासना करने से घर में संपन्नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का समावेश होता है। शास्त्रों में इस किये गए व्रत और पूजन का विशेष महत्व बतलाया गया है। पंडित गिरधारी सूरा ने बताया कि सभी पार्थिव गणेशजी की प्रतिमा को लाकर पूजन करते हंै लेकिन शास्त्रों में कई प्रकार से बने गणपति का उल्लेख मिलता है जिसमे गुड़ की प्रतिमा, हरिद्रा की प्रतिमा, गोधूमान्न और अन्य कुछ लोग गणेश चतुर्थी के अगले दिन गणेश की प्रतिमा का विसर्जन करते है और कुछ गणेश चतुर्थी के बाद 3, 5, 7, 10वें दिन और 11वें दिन पर गणपति विसर्जन करते है।
आर्थिक संकट का भार हो तो ऋणहर्ता गणपति अनुष्ठान करे। संतान प्राप्ति के लिए सन्तान गणपति स्तोत्रम का पाठ करें। विवाह दोष दूर करने के लिए त्रैलोकयमोहन गणेश का अनुष्ठान करें। पंडित गिरधारी सूरा ने बताया कि जिनकी कुंडली में कोई प्रकार का दोष, व्यापार में बाधा या आर्थिक समस्या हो तो भगवान गणपति को इन उपायों से करें प्रसन्न- सर्वमनोकामना हेतु पार्थिव गणपति का पूजन व अभिषेक करें।, चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति के लिए गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। गणपति सहस्त्रार्चन करने से भगवान गणेशजी कृपा पूर्ण रूप से बनी रहती है। समस्त प्रकार के संकट दूर करने के लिए संकटनाशन स्तोत्रं और भालचंद्र का पाठ करें। शोक निवारण व रोगोपद्रव को शांत करने के लिए मयूरेश स्तोत्रं का पाठ और साथ मे मधुत्रय व लाजा से हवन करें।
गणेश चतुर्थी पूजा शुभ मुहूर्त व समय-
गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय मध्याह्नकाल (वृश्चिक लग्न सहित) माना गया है। गणेश पूजन श्रेष्ठ समय सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक।
(चर, लाभ, अमृत) दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शाम 5 बजकर 16 मिनट तक
मोदक का लगाएं भोग, पृथक-पृथक द्रव्यों से करें अभिषेक
पं. सूरा ने बताया कि जो श्रद्धालु गणेशजी की मूर्ति को घर में या कहीं से भी लेकर आते हैं तो सबसे पहले मूर्ति को कपड़े से ढककर लाना चाहिए। गणपति पूजन से पहले सूर्य भगवान का पूजन करना चाहिए। हमने देखा है कि सनातन धर्म किसी भी देवी-देवताओं का पूजन हो तो सर्वप्रथम भगवान गणपति का पूजन करते है, लेकिन पूजन में भगवान गणेशजी अगर प्रधान देवता हो तो उनसे पहले सूर्य भगवान का पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। विद्वान ब्राह्मण के द्वारा विधि विधान से भगवान गणपति की प्राण प्रतिष्ठा कर, स्नान व पृथक-पृथक द्रव्यों से अभिषेक आदि कर वस्त्र पहनाएं। षोड्षोपचार पूजन करके साथ में पात्र पूजन आवरण सहित अंगों का पूजन अर्चन करें। नैवेद्य में विशेष रूप से मोदक, चूरमा, कवीठ, लाजा का भोग लगाएं साथ में पान, सुपारी, फल, दक्षिणा लगाकर आरती और पुष्पांजलि करें।