क्यों बनाया सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष… पढ़ें पूरी खबर
जयपुर। एक बार फिर चुनावी साल में भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष बदला है। सतीश पूनियां की जगह चित्तौडग़ढ़ से दो बार सांसद सीपी जोशी को राजस्थान भाजपा की कमान सौंपी गई है। ब्राह्मण को यह पद देकर एक बार फिर पार्टी ने ब्राह्मण वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कवायद है। जोशी वर्तमान में पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं। बीजेपी में जाट, राजपूत, ब्राह्मण, दलित की बैलेंस की सियासत में ब्राह्मण बैलेंस किए जाने को लेकर लंबे समय से चर्चाएं थी। सतीश पूनियां का कार्यकाल सितंबर कहे या फिर आधिकारिक रूप से दिसंबर महीने में पूरा हो गया था.
इसके बाद से ही सुगबुगाहट थी कि उनकी जगह किसी और को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी जाएगी. इस रेस में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, पूर्व सांसद नारायण पंचारिया,भजनलाल के नाम भी चल रहे थे, लेकिन पार्टी ने सीपी जोशी को कमान सौंपी। इससे पहले जोशी भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेपी नड्डा और अमित शाह की रायशुमारी के बाद सीपी जोशी का नाम फाइनल कर दिया गया। दरअसल यह तय तो उस वक्त ही हो गया था जब जेपी नड्डा बीएल संतोष और अमित शाह ने दिल्ली में भाजपा की प्रदेश कोर कमेटी की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में आई शिकायतों के बाद आलाकमान को लगा था कि राजस्थान में गुटबाजी परवान पर है। कांग्रेस पर आरोप प्रत्यारोप लगाने वाली भाजपा खुद ही गुटबाजी में फंस कर रह गई है। ऐसे में धीरे-धीरे पार्टी ने कई चेहरों को तलाशा उन सभी चेहरों में सीपी जोशी सबसे उपयुक्त लगे और उनके नाम पर आज मुहर लगा दी गई।
वसुंधरा सहित सबसे अच्छे संबंध
गुटबाजी को खत्म करके भाजपा को जीत दिलाने की चुनौती जोशी के सामने है। खेमे की बात की जाए तो वसुंधरा राजे की सरकार के समय सीपी जोशी सांसद थे. उसके बाद सरकार चली गई, लेकिन जोशी दोबारा चित्तौडग़ढ़ से सांसद बने. वसुंधरा राजे से सीपी का अच्छा संवाद है तो पूनियां के प्रदेशाध्यक्ष रहते भी कभी दोनों के बीच मनमुटाव जैसी कोई स्थिति देखने को नहीं मिली. सीपी जोशी की सबसे खास बात यह रही कि सीपी जोशी के संबंध वसुंधरा राजे, ओम प्रकाश माथुर, भूपेंद्र यादव, राजेंद्र राठौड़ और अब संवैधानिक पद पर जा चुके ओम बिरला से अच्छे कहे जाते हैं. सीपी जोशी के नाम पर मुहर तो उसी वक्त लग गई थी जब दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीपी जोशी और उनकी टीम को मिलने का विशेष समय दिया और तफसील से बातें भी की। बात यहीं खत्म नहीं होती सीपी जोशी ने राजस्थान के सांसदों को दिल्ली में भोजन दिया तो उस वक्त भूपेंद्र यादव सरीखे बड़े रणनीतिकार की उस भोज में मौजूदगी साफ बयां कर रही थी कि सीपी जोशी इस वक्त कोई बड़ा पद पा सकते हैं।
29 साल पहले छात्र राजनीति से की शुरुआत
सांसद सीपी जोशी को राजनीति का लंबा तज़ुर्बा है, साथ ही केंद्रीय स्तर के नेताओं के बीच अच्छी पैठ भी है। वे नड्डा और शाह से लेकर पीएम मोदी की गुड बुक्स के नेताओं में भी शामिल हैं। छात्र राजनीति से अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले जोशी भदेसर पंचायत समिति में उपप्रधान रहे। उसके बाद वे भाजपा के जिलाध्यक्ष बने। जिलाध्यक्ष रहते हुए उन्हें पार्टी ने चित्तौडग़ढ़ से सांसद का टिकट देकर चुनाव लड़ाया गया। इसके बाद फिर दूसरी बार भी पार्टी ने उन्हें चित्तौडग़ढ़ से अपना प्रत्याशी बनाया। लगातार दो बार से वे चित्तौडग़ढ़ के सांसद है।
नवनियुक्त भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी ने करीब 29 साल पहले छात्र राजनीति से अपना राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। राजनीति में एक-एक पायदान चढ़कर 47 साल की उम्र में वे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बन गए। सांसद एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष जोशी का जन्म 4 नवम्बर 1975 को हुआ। वे वर्ष 1994-95 में एनएसयूआई से चित्तौडग़ढ़ राजकीय महाविद्यालय में छात्रसंघ उपाध्यक्ष बने। इसके बाद वे 1995-96 में एनएसयूआई से ही छात्र संघ अध्यक्ष बनें। इसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थामा और वर्ष 2000 से 2005 तक जिला परिषद के सदस्य रहे। वर्ष 2005 में भदेसर पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और जीत कर भदेसर के उपप्रधान बने। वर्ष 2010 तक उपप्रधान रहने के बाद उन्हें वर्ष 2014 में चित्तौडग़ढ़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया और वे पहली बार सांसद चुने गए। इसके बाद वर्ष 2019 में दूसरी बार लगातार चित्तौडग़ढ़ के सांसद बने।