जहां नारियों का सम्मान होता है वहीं देवता रमते हैं : जगद्गुरु
राज्यपाल ने सुनी रामकथा, जयश्रीराम के उद्घोष से दिया सम्बोधन
बीकानेर। जो महिलाओं का आदर करना जानते हैं वही विजयी होते हैं। जहां नारियों का सम्मान होता है वहीं देवता रमते हैं। महिलाओं के चरण पर दृष्टि रखनी चाहिए, उनके मुख पर नहीं। यह अमृतवचन रविवार को तुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषित जगद्गुरु रामभद्राचार्यजी महाराज ने कहा कि भारत जैसा कोई देश नहीं। जगद्गुरु ने कहा कि भगवान की कृपा हो तो बड़े से बड़ा सागर भी पार हो जाता है। प्रभु श्रीराम ने मर्यादित जीवन जीया और मर्यादित जीवने जीने की प्रेरणा दी। रविवार को कथा में जयंत विराद और सुर्पणखा सहित आठ दंड, जटायु का घायल होना, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, विभीषण और हनुमान मिलन, अशोक वाटिका उजाडऩे, लंका दहन आदि अन्य वृतांतों को सुनाया गया।
श्रीरामकथा में पधारे राज्यपाल कलराज मिश्र का स्वागत राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज, महंत भगवानदासजी महाराज, श्रीप्रियमजी महाराज, महंत रामेश्वरदासजी, अशोक मोदी, श्रीभगवान अग्रवाल, अविनाश मोदी, डॉ. रामदेव अग्रवाल, अरविन्द शर्मा, अनुज मोदी, अमित सुराना ने राज्यपाल का स्वागत किया। राज्यपाल ने जयश्रीराम के उद्घोष से अपना सम्बोधन शुरू किया। उन्होंने कहा कि बीकानेरवासियों का सौभाग्य है कि एक सप्ताह से राम कथा का रसास्वदन ले रहे हैं। जगद्गुरु अपने ज्ञानचक्षुओं से सब जान लेते हैं। उपनिषद-पुराणों के ज्ञानी और अद्भुत प्रतिभा के धनी को साक्षात् दर्शन करना और उनके श्रीमुख राम कथा सुनने वाले कृतार्थ हो जाते हैं। इससे पहले रामझरोखा कैलाशधाम में सियारामजी के दर्शन किए, पूज्य गुरुदेव रामदासजी महाराज से आशीर्वाद लिया और स्वामी रामभद्राचार्यजी से अध्यात्म विषयों पर चर्चा की। रविवार को पादुका पूजन- शिवरतन अग्रवाल, राजू नागौरी, जयकिशन अग्रवाल, सोनू चढ्ढा, उत्तम भाटी, विजय खत्री, रमेश शर्मा, रवि छंगाणी, भूपेन्द्र शर्मा ने किया।
इंद्रदेव ने बरसाई बूंदें, 108 कुंडीय महायज्ञ की भरी साख
गंगाशहर-भीनासर-सुजानदेसर में अस्थाई रूप से बने सियाराम नगर में 108 कुंडीय रामचरित मानस महायज्ञ के आठवें दिन आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। पूर्णाहुति से एक दिन पहले श्रद्धालुओं की संख्या चौगुनी हो गई। हवनशाला की परिक्रमा लगाने को आतुर श्रद्धालुओं का सैलाब बढ़ता ही जा रहा है। कहा जाता है कि यदि हवन-यज्ञ अनुष्ठान हो और बारिश हो जाए तो समझना चाहिए कि आपका अनुष्ठान सफल हो गया है। इंद्रदेव ने बारिश की बूंदें बरसाकर मानो हवनशाला को प्रणाम किया हो।
अमृत यात्रा को दिखाई ध्वजा…
तुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषित जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्यजी महाराज के 75वें जन्मदिवस को अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इस आयोजन हेतु पूरे भारत में हनुमान सेना द्वारा अमृत यात्रा निकाली जा रही है। हनुमान सेना के अध्यक्ष तिलक दुबे ने बताया कि 75 प्रमुख तीर्थांे का जल एवं पावन रज को संकलित करते हुए यह अमृत यात्रा 13 जनवरी 2024 को अयोध्या पहुंचेगी। सचिव सद्गुरु प्रकाश तिवारी ने बताया कि इस यात्रापथ में रामलला के श्रीचरणों में समर्पित करने के लिए जन-जन से एक चुटकी अक्षत भी स्वीकार कर रही है। रविवार को बीकानेर से अमृत यात्रा को जगद्गुरु रामभद्राचार्यजी, राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज एवं महंत भगवानदासजी महाराज ने ध्वजा दिखाकर अमृतयात्रा रथ को प्रस्थान करवाया।