क्या है हमास का मकसद
हमास एक फिलिस्तीनी उग्रवादी समूह है जो गाजा पट्टी के कुछ क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में रखता है। साथ ही वह इस क्षेत्र को एक इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता है। हमास साल 2007 से गाजा पर शासन कर रहा है। इसके बीच हमास ने इजराइल के साथ कई संघर्ष किए। इस युद्ध के बीच इजराइल ने भी हमास पर कई जवाबी हमले किए है। हमास समूह को इजऱाइल, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ-साथ अन्य देशों ने एक आतंकवादी समूह के रूप में घोषित किया है। वहीं हमास को ईरान का समर्थन प्राप्त है जो उसे हथियार और ट्रेनिंग मुहैया कराता रहता है। हमास फिलिस्तीनी आतंकी संगठन है। यह 1987 में अस्तित्व में आया। 1993-2005 तक इजरायल पर इसने कई आत्मघाती हमले किए। 2006 में हमास ने गाजा में तख्तापलट किया और 2007 से गाजा में शासन संभाल रहा है। हमास को ईरान से पैसा और हथियार मिलता है।
2023 में हमास ने इजरायल पर हमला किया। फिलिस्तीन के पास अपनी कोई सेना नहीं है, ऐसे में हमास, फिलिस्तीन की तरफ से लड़ता है। फिलिस्तीनी इलाकों से इजरायली सेना को हटाने के मकसद से 1987 में हमास का गठन हुआ। तबसे हमास खुद को मुसलमानों का मसीहा बताते हुए इजरायल से लोहा लेता रहा है। हमास पूरे फिलिस्तीन में इस्लामी हुकूमत कायम करना चाहता है। हमास दुनिया के कई बड़े देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। लेकिन इजरायल के खिलाफ लडऩे के लिए उसे फिलिस्तीन की तरफ से हथियार और ट्रेनिंग मिलती है। हमास के कब्जे वाली जगह गाजा पट्टी के एक तरफ इजरायली सीमा है तो दूसरी तरफ समंदर है। दुनिया जानती है कि फिलिस्तीन और इजरायल के बीच की जंग में ईरान शुरू से फिलिस्तीन के साथ रहा है। वही ईरान मिस्र के रास्ते गाज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी गुट हमास को अपने रॉकेट भी मुहैया करवाता है। हमास की अब तक की सारी गतिविधियां आतंकी रही है। इसलिए एक आतंकी संगठन के रूप में हमास ख़ासतौर पर इसकी मिलिट्री विंग को इसराइल, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन और कई दूसरे देशों ने आतंकवादी समूह घोषित कर रखा है।