रोग व दुखों से पानी है मुक्ति तो नौ दिन सच्चे मन से करें माँ की आराधना
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त दोपहर 12: 14 मिनट से लेकर 1:05 मिनट तक अभिजीत वेला में पूजन एवं घट स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा। सुबह 11:04 मिनट से दोपहर 2:13 बजे तक लाभ-अमृत में पूजन व घट स्थापना करना भी अच्छा रहेगा। इसके बाद भी मुहूर्त है अपनी राशि व लग्न के अनुसार वो किसी विद्वान पंडित की सलाह लेकर करें।
इस साल चैत्र नवरात्र 9 अप्रेल 2024 (मंगलवार) से शुरु होंगे और 17 अप्रेल 2024 तक है। पं. गिरधारी सूरा ने बताया कि नवरात्रि व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा कर कलश, षोडश मातृका, नवग्रह व वरुण, भगवान शंकर का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ और भैरव, गणेश पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन हिंदू नववर्ष शुरू होता है। 9 अप्रेल मंगलवार को नया वर्ष शुरू होगा। पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि स्थापना के दिन अपने कुल देवता और कुल गुरु का पूजन करें और नया पंचांग सुनें। अपने घर पर ध्वजा लगाएं और शाम को दीपक जलाएं। नीम के नए बैंगनी रंग के पत्ते और नीम के पुष्प अजवायन काली मिर्च सेंधा नमक इमली जीरा हींग और मिश्री मिलाकर चूर्ण बनाकर सुबह खाली पेट लेवें। ऐसा करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। विधि विधान से नवरात्रि पर्व मनाने से, पूजा, अनुष्ठान व उपासना करने से समस्त प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। बड़ी से बड़ी बीमारी से भी छुटकारा पा लेते हैं, दुर्लभ से दुर्लभ कार्य भी नवरात्रि का अनुष्ठान करने से सुगमता से पूरे होने लगते हैं।
नवरात्रि के पावन पर्व पर देवी की उपासना के साथ रामचरित्र मानस का सम्पूर्ण पाठ नवाह्न पारायण के रूप में किया जाता है। नवरात्रि के दिनों में सात्विक व ब्रह्मचर्य भाव का पालन व तामसिक पदार्थों, मांस-मदिरा का त्याग करना चाहिए। देवी के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित भाव होना चाहिए। नवरात्रि में नौ दिनों तक अनुष्ठान करने से विवाहित स्त्रियों का जीवन सुखमय बनता है व अखंड सुहाग रहता है। समस्त प्रकार के रोग, द्वेष व कष्टों का निवारण होता है। लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ जो मनोकामना है वो पूर्ण होती है। इस बार नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के विशेष मंत्रों का सम्पुटित पाठ करें जिससे आपके घर मे माँ भगवती की कृपा बरसेगी और लक्ष्मी की वृद्धि होगी।
घट स्थापना के साथ मिट्टी के पालसिए में उगाएं जवारे
हरे अंकुर निकलने पर घर और व्यापार में हर तरह से सुख समृधि होती है।
पीले अंकुर निकलने पर रोग में वृद्धि होती है।
सफेद अंकुर निकलने पर धन की वृद्धि होती है।
समस्त प्रकार की बाधा को दूर करने के
लिए व धन तथा पुत्र की प्राप्ति के लिए
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न संशय:॥
सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के लिए
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागस्य कुलोद्भवाम्॥
दारिद्रय दु:ख नाश के लिए
दुर्गेस्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रयदुखभयहारिणी का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥
शत्रु विनाश व बाधा शांति के लिए
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम्।।
समस्त प्रकार की मनोकामना प्राप्ति हेतु बीज मंत्र से
ú ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे
विधिवत् करें कन्या पूजन
पं. गिरधारी सूरा ने बताया कि अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन में तीन से लेकर नौ साल तक की कन्याओं का ही पूजन करना चाहिए। इससे ज्यादा उम्र वाली कन्याओं का पूजन वर्जित है। अपने सामर्थ्य के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों तक अथवा नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें। कन्याओं के पैर धुलाकर विधिवत पैरों को धोकर और साफ कपड़े से पोछना चाहिए और माथे पर कुमकुम से तिलक करें, गुलाब की माला पहनाएं और आसन पर एक पंक्ति में बैठाएं। कन्याओं का पंचोपचार पूजन करें। इसके बाद उन्हें उनकी पसंद का भोजन कराएं। भोजन में मीठा अवश्य हो, इस बात का ध्यान रखें। कन्याओं को सौन्दर्य सामग्री, कपड़े या कोई भेंट, फल और दक्षिणा देकर हाथ में पुष्प लेकर भगवती से हर मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करें।