आज खंडग्रास चंद्रग्रहण : खीर व पूजन के असमंजस को करें दूर
हिन्दू परम्परा में ग्रहण का महत्वपूर्ण स्थान है। ग्रहण दो प्रकार के होते हैं- सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण। सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण भी मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- खग्रास और खंडग्रास। जब ग्रहण पूर्णरूपेण दृश्यमान होता है तो उसे ‘खग्रासÓ एवं जब ग्रहण कुछ मात्रा में दृश्यमान होता है तब उसे ‘खंडग्रासÓ कहा जाता है। पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि 28 अक्टूबर शनिवार को खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर मान्य होगा। ग्रहण का सूतक सायं: 4:06 बजे प्रारंभ होगा। ग्रहण का आरम्भ 1:06 बजे से होगा। मोक्ष देर रात्रि 2:22 मिनट पर होगा। कुल 1 घंटे 16 मिनट ग्रहण रहेगा। ग्रहण मोक्ष के बाद यानि रात्रि 2:22 बजे खीर बनाकर छत पर रख दें और प्रात: काल उठकर पूजा करने के पश्चात खीर का प्रसाद ग्रहण करें। सूतक काल में खीर नहीं बनानी चाहिए। आप चाहें सूतक काल से पहले खीर बना लें और उसमें कुशा डाल कर रख दीजिए। ग्रहण मोक्ष के बाद खीर को खुले आसमान के नीचे रख दीजिए एवं प्रात:काल मंगला आरती के बाद खीर में तुलसीदल छोड़कर ठाकुरजी को भोग लगाएं और प्रसाद ले सकते हैं।
राशियों पर प्रभाव अशुभ- मेष, वृषभ, कन्या एवं मकर सामान्य- सिंह, तुला, धनु एवं मीन शुभ- मिथुन कर्क, वृश्चिक एवं कुम्भ
इन बातों का रखें ध्यान-
ग्रहण के समय रसोई से संबंधित कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए, खासकर भोजन नहीं बनाना चाहिए। ग्रहण के समय सुई में धागा नहीं डालना चाहिए अर्थात् सिलाई का कार्य न करें। नाखून, बाल कटवाने आदि कार्य भी नहीं करने चाहिए। ग्रहण के समय मंदिर की मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए। ग्रहण काल में सोना, भोजन करना, मूर्ति स्पर्श करना, मल मूत्र आदि त्यागना वर्जित है। इसमें बालक, वृद्ध और रोगी को छूट दी गई है। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं बाहर बिल्कुल भी न निकलें। गर्भवती महिलाएं नारियल को अपने पास रखें। ये ग्रहण के हानिकारक विकिरण से बचाने वाला माना जाता है, जिसे बाद में नदी में विसर्जित करें या फिर जमीन में दबा दें। प्रयास करें गर्भवती महिला को भोजन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के सूतककाल में तीर्थस्थान, दान, जप, पाठ, मंत्र तंत्र, अनुष्ठान, ध्यान, हवनादि शुभ कृत्यों का संपादन करना शुभ रहता है। चंद्रग्रहण के समय राहु का जप और राहु का दान करना चाहिए। ग्रहण काल में किए गए प्रयोग, साधना, तांत्रिक क्रियाएं आदि सफलता के शिखर पर पहुंचाने में सहायक होती है।