यह माता देती है मौसमी बीमारियों से सुरक्षा दो दिन होगी पूजा
शीतला अष्टमी बुधवार को धूमधाम से मनाई जाएगी। इस दौरान लोग शीतला माता मंदिर में जाकर धोक लगाएंगे, उन्हें एक दिन पहले बने खाने का भोग लगाएंगे। इसके साथ ही झाड़ू, नमक आदि चढ़ाकर अच्छे स्वास्थ्य की कामना करेंगे। ठंडे पानी से माता की प्रतिमा को स्नान कराएंगे। व्रत भी रखेंगे। शहरी क्षेत्र के बाहर रहने वाले और ग्रामीण अंचल में रहने वाले लोग मंगलवार को शीतला सप्तमी पर व्रत रखेंगे। ऐसे लोगों ने सोमवार को ही विशेष भोजन बना लिया है जो वे मंगलवार को माता को चढ़ाने के बाद ग्रहण करेंगे। वहीं अधिकांश लोग मंगलवार को खाना बनाएंगे और उसे बुधवार को ग्रहण करेंगे। मुख्य मेला अष्टमी को ही भरा जाएगा।
घरों में पकवान बनाए जा रहे हैं। मुख्य रूप से दही, राबड़ी, हलवा, पूरी, कैर-सांगरी, पंचकुटे की सब्जी, सिलेवड़ा-पापड़ आदि नाना प्रकार के व्यंजन बनाए गए हैं। अष्टमी के दिन माता शीतला को पूरे विधान के साथ ठण्डे भोजन का भोग लगाने के बाद ही पूरा परिवार इनका ही सेवन करेगा। जिन घरों में शीतला अष्टमी किसी कारण से नहीं होती, उनके घर रिश्तेदार व पड़ोसी ठंडा खाना भेजेंगे। शीतल अष्टमी के दिनं गर्म खान नहीं बनाया जाता।
मेला मंगलवार से ही प्रारंभ हो जाएगे और बुधवार रात तक चलेगा। इस दौरान हजारों लोग मौसमी बीमारियों पर रोकथाम व उनसे छुटकार पाने के लिए प्रार्थना करेंगे। रानी बाजार स्थित शीतल माता मंदिर में भी मंगलवार और बुधवार को लोग पहुंचेंगे। वहां भी मुख्य मेला बुधवार को ही भरेगा।
शीतला सप्तमी एवं अष्टमी पर श्रद्धालु लोग मां शीतला की सवारी गर्दभ का पूजन करेंगे। जानकारी के अनुसार, इस दौरान मंदिरों के बाहर व गली-मोहल्लों में महिलाएं गर्दभ की पूजा करती है।
और अष्टमी को ही घरों में नई मटकी की पूजा की जाती है। उसके बाद ही ग्रीष्मकाल की शुरुआत में ठंडा पानी पीने की परंपरा निभाई जाती है। वहीं शहर में जगह-जगह मटकियां बेचने वालों की दुकानें सज चुकी है। बड़ी संख्या में लोग नई मटकियां खरीद रहे हैं। इस बार काली मिट्टी से बनी टोंटी लगी मटकियां भी खूब बिक रही है।