350 वर्ष पहले लिखी बातें हो रही सत्य…. पढ़ें ये भविष्यवाणियां
संत मावजी महाराज वागड़ के महान संत थे। उनका जन्म बाघ प्रदेश के सांबला गांव (डूंगरपुर) में हुआ था। मावजी महाराज का जन्म साबला गांव में विक्रम संवत् 1771 में माघ शुक्ल पंचमी को हुआ। इसके बाद लीलावतार के रूप में मावजी का प्राकट्य संवत् 1784 में माघ शुक्ल एकादशी को हुआ। उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का लीलावतार माना जाता है। संत मावजी की स्मृति में आज भी बांसवाडा एवं डूंगरपुर जिलों के बीच माही, सोम एवं जाखम नदियों के बीच विशाल टापू पर बेणेश्वर में हर साल माघ पूर्णिमा पर 10 दिन का विशाल मेला भरता है। इसे आदिवासियों का महाकुंभ भी कहा जाता है।
चोपड़ : कहा जाता है कि 350 वर्ष पहले संत मावजी महाराज ने 5 चौपडे लिखे थे जिसमें से एक शेषपुर, दुसरा साबला, तीसरा बांसवाड़ा व चौथा पूंजपुर में है। अलग-अलग है मान्यता के अनुसार तीन चौपड़ लिखे थे इनमें से एक हरि मंदिर में सुरक्षित है। दूसरा यहां बने हुए आबू दर्रा के भीतर है, जबकि तीसरा चोपड़ा अंग्रेज यहां से टोक्यो (जापान) लेकर गए थे। वहीं से वायुयान जैसे अविष्कारों को नई दिशा मिली। वहीं कुछ लोगों की मान्यता है कि इसके अलावा एक चोपड़ा शेषपुर मंदिर (झल्लारा, उदयपुर) और एक बांसवाड़ा में भी रखा हुआ है। इन चोपड़ों पर आज भी अध्ययन कार्य जारी है।
उस जमाने में मावजी महाराज ने कागज पर लाख की स्याही और बांस की कलम से 72 लाख 66 हजार भविष्यवाणियों को अपने हाथों से लिखा था। वागड़ी भाषा में लिखी गई यह हस्तलिपियां आज भी साबला स्थित मावजी के जन्म स्थान में सहेजकर रखी गई हैं। मावजी महाराज की हस्तलिपी में ज्ञान भंडार, अकल रमण, सुरानंद, भजनावली, भवन स्त्रोत, ज्ञानरल माला, कलंगा हरण और न्याव जैसे कृतियां भी शामिल हैं। चौपडों में भविष्यवाणियों के साथ-साथ विज्ञान, ज्योतिष, साहित्य, संगीत के साथ अर्थव्यवस्थाओं के बारे में सटीक जानकारियां हैं। साद समाज के लोग आज भी उनकी आगमवाणी को भजनों के रूप में गाते हैं। कहते हैं अक्षरज्ञान के भरोसे यह सब लिखा था। भविष्य वक्ता के तौर पर उनके 1784 में साधना में लीन होने के प्रमाण भी वागड़ के प्रयागराज में हैं।
मावजी महाराज की 10 भविष्यवाणियां
- संत मावजी ने कपड़े पर उपग्रह और वायुयान के चित्र बनाए थे जो वर्तमान में निर्मित उपकरणों से हूबहू मिलते हैं।
- स्वयं मावजी महाराज की भविष्यवाणी के अनुसार संतन के सुख करन को, हरन भूमि को भार, ह्वै हैं कलियुग अन्त में निष्कलंक अवतार अर्थात् सज्जनों को सुख प्रदान करने और पृथ्वी के सिर से पाप का भार उतारने के लिए कलियुग के अंत में भगवान का निष्कलंक अवतार होगा।
- संत मावजी महाराज ने स्पष्ट लिखा है- श्याम चढ़ाई करी आखरी गरुड़ ऊपर असवार, दुष्टि कालिंगो सेंधवा असुरनी करवा हाण, कलिकाल व्याप्यो घणो, कलि मचावत धूम, गौ ब्राह्मण नी रक्षा करवा बाल स्त्री करवा प्रतिपाल…।Ó
मावजी की वाणी में कहा गया है कि निष्कलंक अवतार के साथ एक चैतन्य पुरुष रहेगा जो दैत्य-दानवों व चौदह मस्तकधारी कालिंगा का नाश कर चारों युगों के बंधनों को तोड़ कर सतयुग की स्थापना करेगा। इस पुरुष की लम्बाई 32 हाथ लिखी हुई है। यह अवतार गौ, ब्राह्मण प्रतिपाल होगा तथा धर्म की स्थापना करेगा। इसके बाद सर्वत्र शांति, आनन्द और समृद्धि का प्रभाव होगा। निष्कलंक अवतार के स्वरूप में बारे में संत मावजी के चौपड़ों में अंकित है- धोलो वस्त्र ने धोलो शणगार, धोले घोडीले घूघर माला, राय निकलंगजी होय असवार…बोलो देश में नारायण जी नु निष्कलंकी नाम, क्षेत्र साबला, पुरी पाटन ग्राम इसमें साबला पुरी पाटन ग्राम का नाम अंकित है। इन्हीं निष्कलंक अवतार के उपासक होने से संत मावजी के भक्त अपने उपास्य को प्रिय ऐसी ही श्वेत वेश-भूषा धारण करते हैं। निष्कलंक सम्प्रदाय के विश्व पीठ हरि मंदिर सहित वागड अंचल और देश के विभिन्न हिस्स में स्थापित निष्कलंक धामों में भी इसी स्वरूप की पूजा-अर्चना जारी है। - पूरब-पश्चिम वायरा बाजसी सर्वे वाणी फरसी रे : इसका अर्थ है कि पूर्व-पश्चिम की संस्कृति में मेल-जोल बढ़ेगा। वर्तमान में हमारा देश पश्चिम संस्कृति का अनुसरण कर रहा है।
- वायरे बात होवेगा महाराज : यानी लोग हवा में बात करेंगे। वर्ममान में मोबाइल के माध्यम से ऐसा ही होता है।
- खारा समुंदर मिट्ठा जल होसी : यानी समुद्र का खारा पानी मीठा होगा। वर्तमान में समुद्र के पानी को उपयोगी बनाने के प्रयास हो रहे हैं।
- पर्वत गिरी ने पाणी होसी : यानी पर्वत पिघलकर पानी बनेंगे। वर्तमान में हिमपर्वत पिघलकर पानी हो रहे हैं और समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है।
- बधनि सिर थकी भार उतरयसी : यानी बैलों के सिर पर बोझ हल्का होगा। वर्तमान में खेतों की जुताई के लिए ट्रैक्टर से काम लिया जा रहा है। अब बैलों से खेती का चलन कम हो गया है।
- धरती तो तांबा वरणी होसी: यानी धरती तपकर तांबे के रंग की हो जाएगी। वर्तमान में धरती का तापमान निरंतर बढ़ता जा रहा है।
- गुजरात नो डंको बागे महाराज, मावजी वाणी बुले हैं महाराज, जातु धर्म पास आवैगा, धर्म नी बातें सालेगा महाराज, बैणेश्वर रो बेणको रसाए महाराज, दिल्ली मा दीवो लागे महाराज : यानी गुजरात का डंका पूरे देश में बजेगा। मावजी महाराज कहते हैं कि जात धर्म पास आएंगे, धर्म की बातें समझेगे और दिल्ली में दीया जलेगा।
चित्रों से भी की भविष्यवाणी: 350 साल पहले हैलीकॉप्टर, हवाई जहाज, बिजली, डामर सड़क और मोबाइल जैसे अविष्कारों का नामों निशान नहीं था। लेकिन महाराज अपने चित्रों के माध्यम से ऐसी कल्पनाओं से भविष्य की तस्वीर को कागजों में उकेरा था। मावजी महाराज ने एक ऐसी तस्वीर बनाई है जिसको ढंग से देखने पर ज्ञात होता है कि बाएं हिस्से में गोल चकरीनुमा आकृति वर्तमान की पवन चक्की की तरह है। बीच में एक आदमी बैठा हुआ है। उन्होंने एक ऐसी भी तस्वीर बनाई है जिसे देखकर लगता है कि आदमी के हाथ में माउस है। सामने कम्प्यूटर और की-बोर्ड है। रॉकेट, मिसाइल, दुर्ग और भी हैं। नीचे की ओर अंतरिक्ष यान की दिख रहा चित्र वर्तमान का सेटेलाइट है। इसी के दोनों ओर हल्के हरे रंग में दिखने वाले दो बिन्दुओं को गौर करने पर दिखाई देता है कि दो अलग-अलग दिशा में लोग फोन पर बात कर रहे हैं।