सावन में कांवड़ का है बहुत महत्व, शिवजी होते हैं जल्द प्रसन्न
सावन का महीना प्रारंभ हो गया है। श्रावण मास में हर शहर में कावड़ यात्रा निकाली जाती है। शिवजी इससे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। कावडिय़े नदी, कुंड या पवित्र सरोवार से एक मटकी में जल भरकर किसी शिव मंदिर में ले जाकर शिवजी का जलाभिषेक करते हैं। कावडिय़ों द्वारा शिवजी पर जल सोमवार या शिव चतुर्दशी के दिन चढ़ाया जाता है।
इसके साथ ही श्रावण मास की शिवरात्रि के समय सबसे अधिक जलाभिषेक होता है। प्रमुख कावड़ यात्राएं नर्मदा से महाकाल तक, नर्मदा से ओंकारेश्वर तक, शिप्रा से महाकाल तक, गंगाजी से नीलकंठ महादेव तक, गंगा से बैजनाथ धाम (बिहार) तक, गोदावरी से त्र्यम्बकेश्वर तक, गंगाजी से केदारेश्वर तक होती है।
इन स्थानों के अतिरिक्त असंख्य यात्राएं स्थानीय स्तर से प्राचीन समय से की जाती रही हैं। यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है। इसके पूर्व व पश्चात का सफर वाहन आदि से किया जा सकता है।