अपने प्रभु पर इतनी आस्था…गंगाशहर से पैदल निकल पड़ा ये भक्त, पढ़ें पूरी खबर
जगह-जगह हो रहा स्वागत, रोजाना 20 किमी का है टारगेट, 24 दिनों में 470 किमी चले
बीकानेर। जब आस्था जगती है तो दूरियां भी मिट जाती है। ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है गंगाशहर चौपड़ा बाड़ी निवासी कैलाश छींपा ने। बजरंगबली को अपना आराध्य मानने वाले कैलाश छींपा गंगाशहर से अयोध्या तक की पदयात्रा कर रहे हैं। कैलाश के मित्र गजानन्द सारस्वत ने बताया कि 18 नवम्बर 2023 सुबह आठ बजे चौपड़ा बाड़ी स्थित हरिरामजी मंदिर से प्रभु श्रीराम के जयकारे के साथ रवाना हुए कैलाश छींपा ने 1049 किमी दूर अयोध्या तक पदयात्रा करने का लक्ष्य रखा है। आज 11 दिसम्बर को 24 दिन हो गए हैं और लगभग 470 किमी पैदल यात्रा कर चुके हैं। मेहंदीपुर बालाजी से करीब 25-30 किमी आगे पहुंच गए हैं। कैलाश छींपा ने बताया कि रोजाना लगभग 20 किमी चलने का टारगेट बना रखा है तथा अयोध्या पहुंचने से एक किमी पहले दंडवत फेरी प्रारंभ कर देंगे। सुखलेचा कटले में सिलाई की दुकान चलाने वाले कैलाश छींपा ने बताया कि पहुंचने में तो और भी जल्दी अयोध्या जा सकते हैं लेकिन उन्होंने तसल्ली के साथ 22 जनवरी को रामलला के पूजन वाले दिन ही वहां पहुंचने की मंशा रखी है। कैलाश का मार्ग पर लोग जयश्रीराम के जयकारों के साथ उत्साहवर्धन करते हैं तथा अनेक स्थानों पर स्वागत भी होता है। माता-पिता छगनलाल-लक्ष्मी देवी छींपा बताते हैं कि कैलाश का शुरू से ही धर्म-भक्ति के प्रति झुकाव रहा है।
अयोध्या के बाद हिंगलाज माता और मथुरा पद यात्रा का भी है लक्ष्य
पेशे से सिलाई का काम करने वाले 38 वर्षीय कैलाश छीम्पा ने पीओके के भारत में शामिल होने पर हिंगलाज माता की पैदल फेरी लगाने का संकल्प पहले से ही कर चुके हैं। सनातन धर्म के प्रति आस्था का भाव इतना है कि मथुरा मंदिर मामले का निस्तारण होने पर वे बीकानेर से पैदल मथुरा जाएंगे। छींपा ने बताया कि राम मंदिर फैसले के बाद उनके मन में बार-बार अयोध्या पैदल जाने का भाव हो रहा था, इसी भाव को आगे बढ़ाते हुए 65 दिन की पैदल यात्रा कर अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के पूजन में शामिल होने की मनोकामना की। कैलाश ने बताया कि बड़ा तीर्थ करने के बाद कोलायत स्नान करने की बड़ी मान्यता है। इसलिए 22 जनवरी को इस पदयात्रा की समाप्ति के पश्चात् बीकानेर स्टेशन से कोलायत पैदल जाएंगे और कोलायत स्नान कर बीकानेर लौटेंगे।
नशे का किया त्याग, जयश्रीराम का लगाया जयकारा और निकल पड़े पदयात्रा में
धार्मिक प्रवृति के कैलाश छींपा ने बताया कि एक 20 किग्रा का बैग जिसमें एक चद्दर, एक दरी और एक कम्बल, दो जोड़ी कपड़े, तौलिया और थोड़ा-बहुत जरुरत का सामान उनके बैग में है। सर्दी के इस मौसम में पदयात्रा में काफी परेशानी तो होती है लेकिन प्रभु श्रीराम के भक्त कैलाश ने इस पदयात्रा को सात्विकता के साथ पूर्ण करने का मानस बनाया हुआ है। छींपा बताते हैं कि आमतौर पर वे जर्दा-गुटका खाते थे लेकिन 18 नवम्बर को पदयात्रा शुरू करने के साथ ही जर्दा, गुटका, कॉफी का त्याग कर दिया है। पूरे दिन में एक बार ही भोजन करते हैं कभी-कभार ही दूसरी बार भोजन या फलाहारी लेते हैं। मार्ग में पहले से ही लगभग 20 किमी दूर पहुंचने का टारगेट बना कर चलते हैं तथा मंदिर अथवा हाइवे पर किसी ढाबे पर सो जाते हैं।
धार्मिक प्रवृति के कैलाश छींपा ने बताया कि एक 20 किग्रा का बैग जिसमें एक चद्दर, एक दरी और एक कम्बल, दो जोड़ी कपड़े, तौलिया और थोड़ा-बहुत जरुरत का सामान उनके बैग में है। सर्दी के इस मौसम में पदयात्रा में काफी परेशानी तो होती है लेकिन प्रभु श्रीराम के भक्त कैलाश ने इस पदयात्रा को सात्विकता के साथ पूर्ण करने का मानस बनाया हुआ है। छींपा बताते हैं कि आमतौर पर वे जर्दा-गुटका खाते थे लेकिन 18 नवम्बर को पदयात्रा शुरू करने के साथ ही जर्दा, गुटका, कॉफी का त्याग कर दिया है। पूरे दिन में एक बार ही भोजन करते हैं कभी-कभार ही दूसरी बार भोजन या फलाहारी लेते हैं। मार्ग में पहले से ही लगभग 20 किमी दूर पहुंचने का टारगेट बना कर चलते हैं तथा मंदिर अथवा हाइवे पर किसी ढाबे पर सो जाते हैं।