श्रीश्री 1008 शिवमुनिनाथजी महाराज की 30वीं बरसी पर कुलरिया परिवार ने लगाई धोक… देखें वीडियो

संतों की सीख और संगत हमेशा सद्प्रेरणा देती है : नरसी कुलरिया
बीकानेर। गुरु का जीवन में बहुत महत्व है, गुरु ही सद्मार्ग दिखाता है और गुरु का सान्निध्य ही बड़ी से बड़ी बाधाओं को दूर कर देता है। यह उद्गार देश के जाने-माने भामाशाह एवं उद्योगपति नरसी कुलरिया ने शनिवार को बीकानेर के सुजानदेसर स्थित सालमनाथ धोरे पर श्रीश्री 1008 गुरुदेव सालमनाथजी महाराज के परम शिष्य श्री शिव मुनिनाथजी महाराज की ३०वीं बरसी पर व्यक्त किए। समाजसेवी नरसी कुलरिया ने कहा कि संतों का आशीर्वाद सौभाग्यशाली व्यक्तियों को ही मिलता है। गौसेवा, धार्मिक पुण्य कार्यों व सेवा कार्यों से ही मानव जीवन की सार्थकता है। संतों की सीख, संगत हमेशा सद्प्रेरणा देती है। नरसी कुलरिया ने बताया कि विगत 100 वर्षों से दादाजी के मार्गदर्शन में गुरु-शिष्य की परम्परा को आज भी कायम रखा है। कुलरिया परिवार के सभी सदस्य गुरुपूर्णिमा अथवा गुरु बरसी, जयंती आदि अनेक आयोजनों पर यहां समाधि के दर्शन करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इस अवसर पर श्री फक्कडऩाथजी महाराज का आशीर्वाद मिला। ब्रह्मलीन संतश्री दूलारामजी कुलरिया व गौसेवी पदमारामजी कुलरिया परिवार से मघाराम कुलरिया, भंवर कुलरिया, नरसी कुलरिया, शंकर कुलरिया, लालचंद कुलरिया, जय कुलरिया, प्रेम कुलरिया, मांगीलाल धामू, हरिराम माकड़, पुखराज मांडन, पन्नालाल लोल, रामलाल ढाका, परमेश्वर चुयल, राज जांगिड, नारायण सिंह, मूलसिंह, चंपादास मूलवास सीलवा बँधड़ा आदि आसपास गांवों से महाराजजी के अनुयायी पधारे। सामाजिक कार्यकर्ता अरिहन्त नाहटा ने बताया कि सैकड़ा्रें संतों को कम्बल वितरित की गई तथा भोजन करवा कर गुरुदक्षिणा प्रदान की गई। कार्यक्रम में शिवजी, बद्रीजी सुथार, श्रवण सुथार, अक्षय द्वारा संत वाणी भजनों की प्रस्तुति दी गई।

गुरु महाराज के स्मरण से सब संकट हो जाते हैं दूर : भंवर कुलरिया
समाजसेवी भंवर कुलरिया ने बताया कि गुरु महाराज के नाम में गजब की शक्ति है। जब भी थोड़ी बहुत परेशानी होती है गुरुदेव के स्मरण मात्र से आत्मा को शांति मिलती है साथ में समस्या का समाधान मिल जाता है। सालमनाथजी का पूरा आशीर्वाद प्रत्येक भक्त पर बना रहता है। उन्होंने बताया कि तपस्वी सालमनाथजी महाराज तपस्वी सालमनाथ जी महाराज के शिष्य शिव मुत्रीनाथ जी महाराज मूलत: सूरतगढ़ के रहने वाले थे। सालमनाथजी के शिष्य बनने से पूर्व वे पुलिस में नौकरी करते थे। पुलिस की नौकरी उनकी आध्यात्मिकता में आड़े आती थी क्योंकि वे अपने धर्म का निष्ठा के साथ पालन करते थे। एक दिन उनके उच्चाधिकारियों ने उनको मांसाहारी खाना बनाने का बोला तो उन्होंने उसी समय नौकरी छोड़ दी। श्रीगंगानगर में सर्वप्रथम इनकी मुलाकात मुनि सालमनाथजी से हुई, बाद में इनके सानिध्य में ही वे आध्यात्मिक की अलख जगाते रहे। सालमनाथजी के ब्रहालीन के बाद शिव मुत्रीनाथ महाराज सालम धोरा के महंत बने। शिव मुत्रीनाथ मिगसर सुदी 14 संवत 2051 को ब्रह्मलीन हो गये। उनकी समाधि सालम थोरा आश्रम गंगाशहर में है।