श्री सियारामजी गुरु महाराज की बीसवीं पुण्यतिथि पर प्रयागराज व बीकानेर में हुए अभिषेक, यज्ञ व गौसेवा कार्य, संत-महात्माओं ने किया संकीर्तन

बीकानेर। परम पूजनीय श्री सियारामजी गुरु महाराज की बीसवीं पुण्यतिथि पर प्रयागराज में महात्यागीनगर तथा बीकानेर में रामझरोखा कैलाशधाम में आयोजन किए गए। महामंडलेश्वर श्रीभगवानदासजी महाराज ने बताया कि प्रयागराज में राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने सर्वप्रथम श्रीसियारामजी महाराज की प्रतिमा का अभिषेक उसके बाद श्रीश्री 1008 श्रीरामदासजी महाराज का पूजन किया। इसके बाद महात्यागीनगर में ही हवन-पूजन के साथ साधु-संतों को प्रसादी व कम्बल वितरित की गई। इसी तरह बीकानेर में सियारामजी गुरु महाराज का पूजन व अभिषेक किया गया। इसके बाद हवन एवं सत्संग प्रारंभ हुआ। इसी क्रम में गौशाला में गायों को हरा चारा व गुड़ खिलाकर गौसेवा कार्य किए गए। लगभग 12 बजे यज्ञ पूर्णाहुति के पश्चात् सबसे पहले संत-महात्माओं को भोजन करवाकर कम्बल व दक्षिणा प्रदान कर सम्मान किया गया। संत-महात्माओं के पश्चात् श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की।

आश्रम से जुड़े कार्यकर्ता रामबिहारी ने बताया कि भोमराज-रेखा भाटी, किशनलाल-रेखा तंवर ने श्री सियारामजी गुरु महाराज का अभिषेक, बजरंग बली, बाबा रामदेव का पूजन किया तथा श्रीरामदासजी महाराज व श्रीसरजूदासजी महाराज के धूणे का पूजन कर यज्ञ में आहुतियां दी। इस दौरान आश्रम के शिवलाल, दिशांत सोनी, मानकचंद भाटी, मांगीलाल, मनीष, पवन, धनराज आदि कार्यकर्ताओं ने व्यवस्थाएं संभाली।
राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज का कोट खपड़ धुनी तप 18वें वर्ष में प्रवेश, जून में होगी पूर्णाहुति

राष्ट्रीय संत श्री सरजूदासजी महाराज का बसन्त पंचमी से गंगादशहरे तक रोजाना तीन घंटे तक कोट खपड़ धुनि का अनुष्ठान प्रारंभ हो गया है। यह तप गत 17 वर्षों से करते आ रहे हैं, इस बार 18वां वर्ष है। लगातार चार माह तक चलने वाले इस तप को 18 वर्षों तक किया जाता है। राष्ट्रीय संत श्री सरजूदासजी महाराज द्वारा 18 वर्षों तक किए गए इस तप की पूर्णाहुति जून 2025 में होगी। इस साधना में मूल रूप से राम नाम के मंत्र का जप किया जाता है। यह तप स्वयं के लिए नहीं बल्कि संसार कल्याण के लिए होता है।

गौरतलब है कि श्रीसरजूदासजी महाराज को नौ वर्ष की उम्र में संतों का सान्निध्य मिल गया। अधिकतम समय मथुरा में बिताने वाले श्रीसरजूदासजी ने श्रीश्री 108 श्री श्यामदासजी महात्यागी से दीक्षा ली तथा वृन्दावन विद्यालय के गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण की। उज्जैन महाकुंभ में महामंडलेश्वर पद पर विराजित सरजूदासजी ने 2016 में तथा 2017 में रामझरोखा कैलाश धाम के महंत पद की गद्दी संभाली। वर्तमान में श्री सरजूदासजी महाराज द्वारा महाकुम्भ प्रयागराज में बीकानेर खालसा संचालित किया जा रहा है, जिसमें रोजाना लगभग तीन हजार से अधिक श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन व निवास की सुविधा उपलब्ध हो रही है।
