सरेंडर की अफवाह, पंजाब पुलिस ने दबोचा… पढ़ें वारिस पंजाब दे के चीफ अमृतपाल सिंह की पूरी कहानी
36 दिनों से फरार चल रहे खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे के चीफ अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आइए आपको बतातें हैं पूरा घटनाक्रम- 18 मार्च 2023 दोपहर में तरणतारण जिले में पडऩे वाले एक गांव से होकर गाडिय़ों का काफिला गुजर रहा था इसमें सबसे आगे एक सफेद रंग की मर्सिडीज चल रही थी। जैसे ही काफिला आगे बढ़ा तो सामने से पुलिस ने नाकेबंदी कर दी। भारी पुलिस बल को देखकर मर्सिडीज ने यू-टर्न ले लिया जिसके बाद पुलिस की गाडिय़ां काफिले के पीछे लग गई। लेकिन पुलिस को चकमा देकर भागने में कामयाब रहा। उस शख्स का नाम अमृतपाल सिंह था। जो खालिस्तान आंदोलन का समर्थक और वारिस पंजाब दे का चीफ था। लेकिन 36 दिन बाद 23 अप्रैल को सुबह अमृतपाल को पंजाब पुलिस ने दबोच लिया है। अब एक खास बात और की यह अफवाह उड़ाई गई कि उसने सरेंडर किया है, ताकि भगोड़े का महिमामंडन किया जा सके। अमृतपाल का जन्म अमृतसर के बाबा बकाला तहसील के गांव जल्लूपुर में हुआ। पंजाब के माझा इलाके में पडऩे वाला यह गांव और 80 और 90 के दशक में काफी चर्चा में रहा था।
क्योंकि यहां उस समय खलिस्तान को लेकर हथियारबंद संघर्ष में काफी खून खराबा हुआ था। इस दौरान एक्शन लेने गई पंजाब पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर के भी आरोप लगे थे। अक्टूबर 1990 में राजधानी दिल्ली से विस्फोटक के साथ पकड़े गए खालिस्तानी आतंकवादी गुरदीप सिंह खेड़ा भी इसी गांव के रहने वाला है। इस आतंकवादी को आसपास के क्षेत्र के लोग काफी इज्जत देते थे। इसी से पता चलता है कि इस गांव के लोगों पर खालिस्तान का भूत बहुत पहले से ही सवार है। यहां के बच्चों को देश प्रेम के बदले कट्टरता सिखाई जाती है। इसीलिए यहां अमृतपाल जैसे खालिस्तानी समर्थक का गुणगान किया जाता है और उनके महिमामंडन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है। अमृतपाल का परिवार गांव के रसूखदार परिवारों में से एक है। उसके चाचा 70 के दशक में कनाडा चले गए थे।
जहां उन्होंने संधू ट्रांसपोर्ट नाम से ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय शुरू किया। बाद में परिवार ने इस व्यवसाय को बढ़ाते हुए दुबई में भी ट्रांसपोर्ट का काम करना शुरू कर दिया। जिसे संभालने के लिए अमृतपाल के पिता दुबई गए। अमृतपाल सिंह के बारे में लोग सोशल मीडिया से रूबरू हुए। 26 जनवरी 2021 को किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर निशान साहिब फहराने की घटना के बाद किसान संगठन दो हिस्सों में बंट गए थे। दीप सिद्धू को इस पूरी घटना का दोषी बताकर पेश किया जा रहा था। इस समय अमृतपाल सिंह ने फेसबुक पर सैकड़ो लाइव करके दीप सिद्धू का बचाव किया और निशान साहिब फहराने की घटना को सही ठहराया। कहा जाता है कि अमृतपाल ने जैसे ही भिंडरावाले को अपना गुरु मानना शुरू कर दिया, उसके बाद से कई विदेशी ताकतें हैं जो भारत को स्थिर नहीं देखना चाहती है, जो भारत के संप्रभुता पर चोट करना चाहती है, उसने इसे फंडिंग देना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अमृतपाल खालिस्तान आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा बन गया। लेकिन अब यह पुलिस के गिरफ्त में हैं। जहां पुलिस इससे सारे राज उगलवायेगी। इसके तार कहां-कहां से जुड़े हैं, कौन इसे फंडिंग देता था, किसके इशारे पर यह भारत को अस्थिर करना चाहता था। अब जब इसकी गिरफ्तारी हो गई है तो एक बात तो तय है कि पंजाब में कुछ शांति आएगी। लेकिन पंजाब पुलिस को एहतियातन अभी कुछ दिन हर वक्त एक्टिव रहना होगा, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।
मोगा पुलिस ने रोड़ेवाल गुरुद्वारे से अमृतपाल को गिरफ्त में लिया। वारिस पंजाब दे चीफ अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी का विरोध शुरू हो गया है। खालिस्तानी समर्थक के पिता तरसेम सिंह ने पंजाब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए अमृतपाल सिंह की मां बलविंदर कौर की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। बलविंदर कौर ने कहा कि हमने खबर देखी और पता चला कि उसने सरेंडर कर दिया है। उन्हें अपने बेटे पर गर्व है क्योंकि वह एक शेर है। उधर, अमृतपाल के चाचा ने अपने बयान में कहा कि उन्हें रविवार सुबह ही पता चला कि अमृतपाल ने आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह फरारी के दौरान कभी भी परिवार के साथ संपर्क नहीं किया था।
भगोड़े अमृतपाल सिंह की गिरफ्तरी के बाद उसके पिता तरसेम सिंह ने पंजाब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। तरसेम सिंह का कहना है कि उनका बेटा पंजाब में नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा था। गुरु साहिब की सोच थी कि पंजाब नशे से रहित होना चाहिए। खालिस्तानी समर्थक के पिता तरसेम सिंह ने अब सिख संगत से अपील की है कि पंजाब को नशामुक्त करने के उनके बेटे अमृतपाल के मिशन को आगे बढ़ाया जाना चाहिए