रेवासा धाम महंत राधवाचार्यजी महाराज को अर्पित की श्रद्धांजलि
स्वामी राघवाचार्यजी महाराज के ओजस्वी विचार और आदर्श मानवजीवन के लिए सदैव प्रेरणादायी : श्रीसरजूदासजी महाराज
सीकर जिले के रेवासा धाम के स्वामी राघवाचार्य जी महाराज असार संसार का परित्याग कर बैकुंठधाम को चले गए। उनके निधन की उनके अंतिम दर्शन दर्शन हेतु देशभर से संत महात्मा,राजनेता और उनके शिष्य रैवासा पहुंचे। बीकानेर से रामझरोखा कैलाशधाम के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज भी स्वामीजी के अंतिम संस्कार में पहुंचे और अखिल भारतीय संत समिति एवं बीकानेर संत समाज की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, विधायक बालमुकुंद आचार्य व दिगम्बर अखाड़ा के महामंत्री श्री वैष्णवदासजी महाराज ने पूज्य पाद स्वामी राघवाचार्य जी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने कहा कि महाराजजी के ओजस्वी विचार और आदर्श जीवन की प्रेरणा सदैव मानवता के लिए मंगलकारी सिद्ध होंगे। स्वामीजी का अचानक दिल का दौरा पड़ा और उन्हें सीकर अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। अचानक से हुए निधन की वजह से धाम के अंदर शोक छाया हुआ है। पीठाधीश्वर के देशभर में लाखों की संख्या में अनुयायी हैं। यह मंदिर 1570 में बनाया गया था जो सबसे प्राचीन पीठ भी है। इसी जगह पर अग्रदेवाचार्य महाराज ने विवाह, होली के पद बनाए, जिन्हें जनकपुर तक गाया गया। इसी पीठ से मधुर उपासन का प्रचार भी हुआ।
इसी गद्दी से वैष्णव संप्रदाय में 37 में से 12 आचार्य पीठ निकली है। महंत राघवाचार्य जी का रामजन्म भूमि आंदोलन में भी प्रमुख भूमिका रही। राघवाचार्य जी महाराज वेदान्त विषय में गोल्ड मेडलिस्ट थे। इतना ही नहीं बल्कि वो राजस्थान संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने राजस्थान में वेदाश्रमों की भी स्थापना की थी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी राघवाचार्य महाराज के निधन पर शोक जताया है।