असमंजस दूर करें : धनतेरस 29 अक्टूबर और दिवाली 1 नवम्बर को मनाएं
बीकानेर। 2024 में दिवाली का त्योहार मनाने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, लोगों में भ्रम है कि बड़ी दिवाली कब मनाई जाएगी। कई लोगों का मानना है कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी तो कुछ लोग एक नवंबर को दिवाली की तारीख बता रहे हैं। हालांकि इस असमंजस को दूर करते हुए शहर के विद्वानों ने कुछ दिन पहले निश्चित दिनांक व तिथि की भी घोषणा कर दी थी। इसी क्रम में बीकानेर के जाने-माने ज्योतिर्विद पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि तीन प्रहर के उपरान्त पर समाप्त हो और अगले दिन प्रतिपदा साढे तीन प्रहर के उपरांत पर समाप्त हो रही हो तो ऐसी स्थिति में लक्ष्मी पूजन करे। कुछ पंचांगों व ग्रंथों (धर्म सिंधु, तिथि निर्णय, पुरुषार्थ चिंतामणि, निर्णय सिंधु, काल माधव,) के आधार पर विचार करके दोनों दिन प्रदोष काल में अमावस्या की व्याप्ति कम या अधिक होने पर दूसरे दिन अर्थात् अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत है।
अथाश्विनामावस्यायाम प्रातरभ्यम्ग: प्रदोषे दीपदान लक्ष्मी पूजनादि विहितम तत्र सूर्योदयं व्याप्ति अस्तोतरम घटिकादिक रात्रि व्यापिनी दर्शे सति न संदेह :। (यदि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के अंतर 1 घड़ी यानि 24 मिनट से अधिक रात्रि तक (प्रदोष काल) अमावस्या हो तो उसमें कोई संदेह की बात नहीं है कि दीपावली पर्व इसी दिन किया जाएगा। विशेष रूप से जब प्रदोष काल में अमावस्या अल्पकाल होती है तब उस दिन सायंकाल और प्रदोष काल इन दोनों कालों में अमावस्या विधमान रहती है। साथ ही अमावस्या और प्रतिपदा का मिलन होने से युग्म को महत्व देकर प्रतिपदा युक्त अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। विचारणीय बिंदु के अनुसार 1 नवम्बर 2024 वार शुक्रवार को महालक्ष्मी का पूजन करके महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती जी की कृपा से सुख-समृद्धि, आर्थिक वृद्धि के साथ ही सभी प्रकार की मनोकामना पूरी हो।
पंचांग व शास्त्रों का कहना है…
प्रदोष समये लक्ष्मी पूजयित्वा…. दीपवृक्षास्च दातव्या : (निर्णय सिंधु)
प्रदोषे दीपदान लक्ष्मी पूजनदिविहितम तत्र सूर्योदयं व्याप्य अस्तोतरम घटिकाधिक रात्रि व्यापिनि दर्शे सतिम, न संदेह :… तथा च परदिने एवं दिनद्व्येपी वा प्रदोषव्याप्तो परा…. दीपावली संज्ञके यत्र यत्राह्नि स्वाति नक्षत्र योगस्तस्य तस्य प्राशस्वय: अतिशय (धर्म सिंधु ग्रंथ)
इयं प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या
दिनद्व्ये सत्वा सत्वेपि परा (तिथि निर्णय)
या तिथि समनुप्राप्य उदयं याति भास्कर : सा तिथि सकला ज्ञेया स्नानदान व्रतादिषु या तिथि समनुप्राप्य अस्तयाति भास्कर: सा तिथि सकला ज्ञेयास्नान दान व्रतादिषु (काल माधव)
दीपान्दत्वा प्रदोषे तु लक्ष्मी पूज्य यथाविधि दन्डेक रजनीयोगे दर्श: स्यातु परेह्नि तदा विहाय पूर्वेधु:परेह्नि सुखरात्रिका (निर्णय सिंधु)
यदा सायाह्मराभ्य प्रवृतोतरदिने किंचिन्यून्यमात्रयम अमावस्या तदुतरदिने यामत्रायमिता प्रतिपदा अमावस्या प्रयुक्त दीपदान लक्ष्मी पुजादिक पूर्वत्र
यदा तु द्वितीय दिने यामत्रयेममावस्या तदुतर दिने सार्धयामात्रयम
प्रतिपतदा परा (पुरुषार्थ चिंतामणि)