रतन टाटा की 10 हजार करोड़ की वसीयत : पेटडॉग व रसोईए को भी मिला हिस्सा
नई दिल्ली। रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर को हुआ था। 15 दिन बाद उनकी वसीयत सामने आई है। वे 10 हजार करोड़ रुपए की वसीयत छोड़ गए हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति में दोस्त और टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा जनरल मैनेजर शांतनु नायडू, भाई जिम्मी टाटा, सौतेली बहन शिरीन और डिएना जीजीभॉय, हाउस स्टाफ और अन्य लोगों का जिक्र है। यहां तक कि उनकी वसीयत में पेटडॉग टीटो की भी हिस्सेदारी है। टाटा ने वसीयत में स्टार्टअप गुडफैलो में अपनी कुछ हिस्सेदारी शांतनु के नाम की है। विदेशों में उनकी शिक्षा पर होने वाले खर्चों को भी शामिल किया है। रतन की वसीयत में अलीबाग स्थित 2,000 स्क्वायर फीट का बंगला, मुंबई के जुहू तारा रोड पर 2 मंजिला मकान, 350 करोड़ रुपए से ज्यादा की फिक्स्ड डिपॉजिट (स्नष्ठ) और 165 बिलियन डॉलर (करीब 13.94 लाख करोड़ रुपए) की टाटा गु्रप में 0.83त्न हिस्सेदारी शामिल है। टाटा ने अपने पालतु कुत्ते टीटो की देखभाल की भी जिम्मेदारी ली थी।
इसके लिए अनलिमिटेड केयर शब्द का उपयोग किया गया। टीटो को करीब 5-6 साल पहले गोद लिया गया था। वसीयत के अनुसार टीटो की देखभाल की जिम्मेदारी रसोइए राजन शॉ को दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रतन टाटा के वसीयत में उनके बटलर सुब्बैया के लिए भी प्रावधान है। पिछले तीन दशकों से राजन शॉ और सुब्बैया रतन टाटा से जुड़े हैं। 2014 में अमेरिका से मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद शांतनु ने टाटा ग्रुप जॉइन किया था। अपने ऑफिस के काम के साथ-साथ वे सोशल वर्क भी करते थे, जिसने टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा को काफी प्रभावित किया। नायडू ने टाटा के सहयोग से 2022 बुजुर्गों के लिए गुडफेलो स्टार्टअप शुरू किया था। रतन ने इस वसीयत के हिसाब से संपत्ति का बंटवारा करने का जिम्मा अपनी सौतेली बहनों शिरीन और डायना जेजीभॉय के साथ-साथ वकील दारायस खंबाटा और अपने करीबी दोस्त मेहली मिस्त्री को दिया है। रिपोर्ट की सभी बातें पब्लिक नहीं हुई हैं। लेकिन माना जा रहा है कि इसका बड़ा हिस्सा रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन को जाएगा।
टाटा ट्रस्ट की अहमियत और आकार इस तरह समझ सकते हैं कि यह टाटा ग्रुप की परोपकारी संस्थाओं का समूह है। ये 13 लाख करोड़ रुपए के रेवेन्यू वाले टाटाग्रुप में 66प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। टाटा ट्रस्ट में सर रतन टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट शामिल हैं। गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने वाले ये ट्रस्ट, रतन टाटा की विरासत का अभिन्न अंग हैं।
इसी महीने 9 अक्टूबर की रात रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के इंटेसिव केयर यूनिट में भर्ती थे। वे उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके निधन के एक हफ्ते बाद 17 अक्टूबर को सौतेले भाई नोएल टाटा (66) को टाटा ट्रस्ट के चेयरमैनशिप की जिम्मेदारी सौंपी गई। वे पहले ही दो फैमिली ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। टाटा के निधन के बाद नोएल इकलौते दावेदार थे। हालांकि उनके भाई जिम्मी का नाम भी चर्चा में था, लेकिन वे पहले ही रिटायर हो चुके हैं।
28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते हैं। वह 1990 से 2012 तक ग्रुप के चेयरमैन थे और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम चेयरमैन थे। रतन, टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट्स के प्रमुख थे। रतन ने अपनी विरासत को एक नए मुकाम पर पहुंचाया। उन्होंने एअर इंडिया को अपने एंपायर में शामिल किया। विदेशी कंपनी फोर्ड के लग्जरी कार ब्रांड लैंडरोवर और जगुआर को भी अपने पोर्टफोलियो में जोड़ा।