राजस्थान भाजपा : सीएम का चेहरा घोषित नहीं करेगी पार्टी, मोदी फेस पर होगा चुनाव
पवन भोजक
प्रदेश में विधानसभा चुनावों की गूंज महज आठ माह बाद सुनाई देने लगेगी लेकिन तैयारियां पूरी तरह से शुरू हो चुकी हैं। राजस्थान में इस बार भाजपा सरकार बनती है तो सीएम पद की दावेदारी में भी कई दिग्गजों के नाम आ रहे हैं। हालांकि पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में सीएम का कोई चेहरा नहीं होगा। चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। राजस्थान में पहले से ही प्रमुख नेताओं के कई गुट बने हुए हैं।
पार्टी के लिए सबसे बड़ी समस्या है कि किसी भी एक गुट से किसी नेता को आगे करने की स्थिति में दूसरे खेमे द्वारा चुनाव में नुकसान पहुंचाया जा सकता है। यही कारण है कि केंद्रीय नेतृत्व पार्टी में खेमेबाजी को कंट्रोल करने को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। कोशिश यह है कि किसी भी हाल में चुनाव से पहले सीएम चेहरे को लेकर कोई मैसेज पार्टी कार्यकर्ताओं में नहीं जाए। पार्टी ने पूरी तरह से यह तय कर रखा है कि राजस्थान में सीएम का चेहरा चुनाव से पहले किसी भी स्थिति में घोषित नहीं किया जाएगा। चुनाव से पहले किसी भी नेता को किसी भी बड़े पद पर जिम्मेदारी देते समय भी यह देखा जाएगा कि इसका मैसेज कहीं चेहरे को लेकर न जाए।
नेता प्रतिपक्ष के रूप में सतीश पूनिया व राजेन्द्र राठौड़ के नाम हो सकते हैं। सीएम फेस को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया एवं वरिष्ठ नेता ओम माथुर जैसे नामों में खींचतान जगजाहिर है। अब बात वास्तविक रूप से यदि सीएम फेस की बात करें तो मुख्य रूप से वसुंधरा राजे, गजेन्द्र सिंह व ओम बिरला तीन बड़े नाम हैं। उक्त नामों के साथ ही दीया कुमारी, अर्जुनराम मेघवाल का भी नाम सामने आ रहा है। इसके अलावा गुटबाजी हावी न हो और कोई नया चेहरा ही सामने लाया जाए तो उनमें अश्विनी वैष्णव और भूपेन्द्र यादव का नाम हो सकता है।
कटारिया का राज्यपाल नियुक्त होना, एक तीर से दो निशाने
राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है इसका एक बड़ा उदाहरण हाल ही में देखा गया जब भाजपा के दिग्गज नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का नया राज्यपाल बना गया। नौ बार विधायक और राजस्थान सियासत में भाजपा में दो नम्बर की पॉजिशन रखने वाले कटारिया को विधानसभा चुनावों से 7-8 माह पूर्व असम का राज्यपाल बनाकर राजनैतिक समीकरण साधने की कवायद की गई है। कटारिया को राज्यपाल नियुक्त करने के बाद दो संदेश सामने आए हैं- एक तो चुनावी घमासान में कद्दावर नेताओं की सूची में से एक नाम कम हो गया और दूसरा खाली हुई नेता प्रतिपक्ष की सीट पर असंतुष्ट गुट के विधायक का नाम आगे किया जा सकता है।