चुनाव में रोज ऑनलाइन देना होगा पाई-पाई का हिसाब, अवैध खर्चों का भी रहेगा कॉलम
तीन राज्यों में चुनाव की तैयारियों शुरू हो गई है। हालांकि अभी कोई दिनांक की घोषणा तो नहीं हुई है लेकिन केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी है। फिलहाल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में आगामी चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। अभी तक उम्मीदवार हार्ड कापी में जिला निर्वाचन अधिकारी को ब्योरा देते थे। अब विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा किए जा रहे खर्च की अब और सख्ती से निगरानी हो सकेगी। इसके लिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग कैंडीडेट एक्सपेंडीचर मानीटरिंग सिस्टम (सीईएमएस) बना रहा है। इसमें एक साफ़्टवेयर होगा। इसे तैयार करने की जिम्मेदारी बंगाल के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को दी गई है। हाल ही में वहां विधानसभा चुनाव में मिले अनुभवों के आधार पर साफ्टवेयर अच्छा बन सके, इसलिए बंगाल को यह काम दिया गया है।
साफ्टवेयर में हर तरह की जानकारी के लिए कालम रहेगा। साफ्टवेयर में खर्च के 10 प्रमुख शीर्ष होंगे। जिसमें बिना स्टार प्रचारक के खर्च जैसे वाहन,गुलदस्ते,फर्नीचर,पोस्टर, चाय-पानी, कोल्ड ड्रिंक्स, कार्यक्रम स्थल का किराया, सुरक्षा पर खर्च आदि को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा स्टार प्रचारक के आने पर यही खर्च अलग से दर्ज करना होगा। खर्च के अन्य मुख्य शीर्ष में चुनाव अभियान की सामग्री और सार्वजनिक सभाएं, प्रचार माध्यमों पर खर्च, चुनाव प्रचार में लगे वाहनों का खर्च को शामिल किया जाएगा। सॉफ्टवेयर में अवैध खर्च का भी कालम रहेगा। उदाहरण के तौर पर किसी प्रत्याशी द्वारा शराब या नकदी बांटने की पुष्टि होती है तो यह उसके खाते में जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा दर्ज किया जाएगा। इस व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि प्रत्येक प्रत्याशी के हर दिन के वैध-अवैध खर्च का डैशबोर्ड तैयार होगा। इसकी निगरानी जिला निर्वाचन अधिकारी से लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग के स्तर तक होगी।