सफलता में बाधक बनता है कुंडली में पितृदोष का होना : पं. गिरधारी
ज्योतिष शास्त्रों में पितृ दोष को सबसे बड़ा दोष बताया है जिस किसी के कुंडली में पितृ दोष हो उस व्यक्ति का जीवन अत्यंत ही कष्टमय बन जाता हैं और वह सफलता के षिखर तक पहुंचने में असमर्थ हो जाता हैं। अत्यधिक परिश्रम के बावजूद भी वह निष्फल हो जाता हैं। पितृ दोष के कारण वंश वृद्धि में कठिनाई होती है। पं. गिरधारी सूरा जनउपयोगी के हितार्थ के लिए पितृ दोष का कारण बताते हैं कि जब सूर्य चन्द्र राहू या शनि ग्रह कुंडली में एक ही घर में विधमान हो, कुंडली में सूर्य पीडि़त अवस्था में हो, दशम भाव का स्वामी यदि कुंडली के छठे,आठवें व बारहवें भाव में बैठा हो तथा गुरू पाप ग्रह से प्रभावित हो या पापी ग्रह की राशि में हो, लग्न व पांचवें भाव के स्वामी पाप ग्रह से सम्बन्ध बनाते हो तो पितृ दोष माना जाता है। पंचम भाव का स्वामी यदि सूर्य हो और वह पाप ग्रह की श्रेणी में हो तथा त्रिकोण में पाप ग्रह हो या उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो पितृ दोष का कारण है। कुंडली में सूर्य-शनि, सूर्य-राहू एक साथ केन्द्र, त्रिकोण भाव में हो अथवा लग्न का स्वामी 6,8 व 12 भाव में हो तो कुंडली में पितृ दोष की युक्ति बनती है। कुछ जातक जिनकी आमदनी बहुत कम होती हैं और उपाय को कराने में असमर्थ होते हैं। पं. गिरधारी सूरा ने पितृ दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ घरेलु व सरल उपाय को बताया है जिनके करने से जातक के जीवन की हर मुश्किल दूर हो सकती है और वह कामयाबी को हासिल करने में सक्षम बन सकता है।
- अमावस्या के दिन घर में पितरो का विधिवत पूजन अर्चन कर तर्पण व हवन करना चाहिए और यथाश्क्ति ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र व दक्षिणा देकर आषीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
- पीपल के वृक्ष पर जल, पुष्प, दूध, गंगाजल, काले तिल चढायें व तेल का दीपक करें।
- पितरों के निमित वस्तु (वस्त्र व अन्न) का दान करना चाहिए।
- पितृ स्तोत्र, नाग स्तोत्र, नवचंडी पाठ, गीता पाठ, महामृत्युंजय व श्रीमदभागवत का पाठ (जो आपसे नियमित हो सके कोई एक पाठ) करना चाहिए।
- किसी जरुरतमंद व्यक्ति की सहायता करने से भी पितरों को मुक्ति मिलती है।
- पितरों के निमित्त जरुतरमंद विधार्थियों की सहायता करने व दिवंगत परिजनों के निमित्त पानी पीने का स्थान (प्याऊ) अस्पताल, मन्दिर व धर्मशाला का निर्माण कराना चाहिए।
- गाय को गुड़ व अपने पितरों को खीर, जलेबी का भोग लगाकर ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- घर में जहां पानी का स्थान हो वहां सायं के समय दीपक करना चाहिए।
- घर को गंगाजल, गोमुत्र व गोबर से पोछा लगाना चाहिऐ सारे दोष दूर होते हैं।
- कोई भी उपाय करने से पहले अपने गुरूजनों व माता पिता व अपने कुल देवी-देवताओं का आशीर्वाद लें।