इधर-उधर से जोड़-बटोर कर बनी पठान, ओरिजनल कुछ नहीं
पठान फिल्म से शाहरुख खान ने पूरे चार साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की है। उनके फैंस उन्हें देखने के लिए बेताब थे। अब जब शाहरुख पठान बनकर सिनेमाघरों में उतरे तो दर्शक खुद पर काबू नहीं रख पाए और जुट गए फिल्म देखने के लिए। सोशल मीडिया पर सिर्फ शाहरुख खान की तस्वीरें, उनका पठान वाला लुक… लेकिन यहां एक बात आपने गौर की? सिर्फ शाहरुख ही शाहरुख हैं… जॉन अब्राहम की कहीं चर्चा ही नहीं। वहीं अगर दीपिका पादुकोण अपने ग्लैमरस लुक से कंट्रोवर्शी क्रिएट नहीं करतीं तो शायद हमें उनके बारे में भी ज्यादा पता नहीं चलता।
नो डाउट पठान के लिए सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ जमा थी। लोगों में शाहरुख खान को दोबारा देखने के लिए (वो भी एक्शन वाले अवतार में) बड़ा ही क्रेज था। फिल्म शुरू हुई। पहले ही सीन में शाहरुख खान ने अपने एक्शन और लुक से महफिल लूट ली। दर्शकों ने तालियों से उनका स्वागत किया। यहां गौर करने वाली बात ये थी कि फिल्म में ज्यादातर एक्शन सीन्स कॉपी थे। और कुछ सीन तो पूछो ही नहीं। उन्हें देखने के बाद एक ही चीज दिमाग में आई, मतलब कुछ भी..!! शाहरुख और जॉन के एक्शन सीन्स हुए। फिर हुई फिल्म की द लेडी पठान दीपिका पादुकोण की एंट्री। दीपिका पादुकोण की एंट्री ही बेर्शम रंग सॉन्ग से हुई। जी हां, वही गाना जिसने रिलीज होते ही बवाल मचा दिया था। गाने में उन्होंने भगवा रंग की बिकिनी पहनी थी। जिसपर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने खूब बवाल मचाया था। उनका कहना था कि फिल्म में भगवा रंग दिखाकर हिंदू धर्म का अपमान किया गया है।
फिलहाल दीपिका ने जबरदस्त डांस किया। फिर शुरू हुई असली कहानी। पहले दिखाया गया कि दीपिका विलेन हैं। फिर दिखाया गया कि वह पठान के फेवर में हैं। दोनों साथ मिलकर एक मिशन कम्पलीट करते हैं। फिर पता चलता है कि अरे क्वीन तो दगाबाज है। उसने अपने फायदे के लिए पठान को धोखा दे दिया। यह देखकर मुझे फिल्म रेस की तीनों सीरीज याद आ गईं। जिसमें यही समझ नहीं आता है कि हिरोईन विलेन के साथ है या हीरो के साथ। कुल मिलाकर कहा जाए तो फिल्म पठान की स्टोरी कुछ ज्यादा खास नहीं है। एक्शन सीन्स ज्यादातर कॉपी हैं, जिन्हें देखने के बाद आपको एक बार विद्युत जामवाल याद आ जाएंगे।
कहीं पर तो कमल हासन की फिल्म विक्रम भी याद आ जाएगी तो कहीं पर सरदार या कहीं 2019 में आई फिल्म कैथि। मेकर्स ने पठान के जरिए साउथ को कड़ी टक्कर देने की भरपूर कोशिश की लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके। ऐसा इसलिए भी क्योंकि साउथ की फिल्मों में हर बार फ्रेश स्टोरी देखने को मिलती है, लेकिन पठान में इधर, उधर से जोड़-बटोर कर फिल्म को बनाया गया है।