सैकड़ों पेड़ काटने के आदेश देकर विकास की बात करना, पर्यावरण व प्रकृति के विरुद्ध : कन्हैयालाल लखानी
45 वर्षों की मेहनत से हरे-भरे पेड़ों के कटने का विरोध
बीकानेर। 45 वर्षों की मेहनत को बर्बाद होते देखा तो हृदय रो उठा। यह पीड़ादायक वाक्या हुआ है नापासर में। आपको बता दें नापासर से निकलने वाले चारों रास्तों पर सड़क के दोनों किनारे हरे-भरे लहलहाते एक क़तार में खड़े घने पेड़ नापासर की पहचान है। सन् 1979 से लखानी ट्रस्ट के संस्थापक ओमनारायण लखानी निरन्तर जलापूर्ति व तारबंदी करवाकर संरक्षित किया गया था। पीड़ादायक विषय यह है कि स्टेट हाइवे के नाम पर यहां 45 वर्षों से लगे हरे-भरे करीब 600-700 पेड़ काटने के आदेश हो गए हैं। क्षेत्र के भामाशाह कन्हैयालाल लखानी ने बताया कि विकास के नाम पर सैकड़ों पेड़ों की कटाई पर्यावरण का नाश करना तथा प्रकृति को रुष्ट करने के बराबर होगा।
लखानी ने कहा कि फिलहाल 6-7 पेड़ काटे गए हैं लेकिन ग्रामवासियों के विरोध के चलते कार्य एकबारगी रोक दिया गया है। इस संबंध में संभागीय आयुक्त व जिला कलक्टर से चर्चा की जाएगी तथा सीएम को ज्ञापन प्रेषित कर विकास के नाम पर प्रकृति व पर्यावरण का नाश नहीं करने की मांग की जाएगी। भामाशाह कन्हैयालाल लखानी ने बताया कि इस सम्बन्ध में दो सुझाव भी दिए हैं जिनमें पेड़ों न काटकर मशीन से शिफ्ट करने अथवा मार्ग में परिवर्तन कर कम पेड़ों को काटना बेहतर रहेगा। लखानी ने बताया कि सरकार द्वारा भरपाई के नाम पर दूसरी जगह हजारों पेड़ लगवाने की बात की जाएगी लेकिन 600-700 पेड़ काटना तर्कसंगत नहीं है।
अमृता देवी पुरस्कार से सम्मानित ओमनारायण लखानी ने कहा कि जब मुझे पता चला कि सैकड़ों पेड़ काटे जाएंगे तो मेरा हृदय रो पड़ा। ऐसा लग रहा है कि पेड़ नहीं इंसानों को काटा जा रहा है। पर्यावरण प्रेमी लखानी ने कहा कि विकास हो सब चाहते हैं लेकिन पर्यावरण व प्रकृति को रुष्ट करके विकास की बात नहीं कर सकते।