इस पूर्णिमा पर चंद्रमा नहीं करेंगे अमृत वर्षा
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं यानी 16 कलाओं के साथ होता है और पृथ्वी पर चारों ओर चंद्रमा की उजास फैली होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है, इसलिए रात्रि में चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा भी है। लेकिन, इस बार ना तो चंद्रमा की किरणों से अमृृत वर्षा होगी और ना ही चांदनी में खीर रखी जाएगी। पूर्णिमा के दिन साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। ऐसे में ग्रहण का साया होने से शरद पूर्णिमा पर चांदनी में खीर नहीं रखी जा सकेगी।
इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगा। शरद पूर्णिमा की देर रात 1:06 बजे चंद्र ग्रहण लगेगा, जो मध्य रात्रि 2:24 बजे खत्म होगा। जिसका सूतक काल शाम चार बजे शुरू हो जाएगा। ऐसे में चंद्रग्रहण तक खीर बनाना निषेध रहेगा। खीर बनाने के दूध में सूतक काल शुरू होने के पहले कुशा डाल दें फिर उसे ढककर रख दें। इससे सूतक काल के दौरान दूध शुद्ध रहेगा। ग्रहण खत्म होने के बाद में इसकी खीर बनाकर भोग लगा सकेंगे।
चंद्र ग्रहण 2023 समय
ग्रहण का स्पश-रात्रि 1:05 बजे
ग्रहण का मध्य-रात्रि 1:44 बजे
ग्रहण का मोक्ष-रात्रि 2:24 बजे
ग्रहण का सूतक-दोपहर 4:05 बजे
शरद पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ-28 अक्टूबर, शनिवार, प्रात: 4:17 बजे से
शरद पूर्णिमा तिथि का समापन-29 अक्टूबर, रविवार, रात्रि 1:53 बजे