सीएम को भेजा नोटिस : ज्यूडिशियरी की प्रतिष्ठा खराब करने का आरोप
जयपुर। ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने पर हाईकोर्ट ने शनिवार को सीएम अशोक गहलोत को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है कि उन्होंने किस आधार पर बयान दिए। वकील शिवचरण गुप्ता की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। गहलोत के बयान के बाद शुक्रवार को उनके खिलाफ पीआईएल दायर कर जल्द सुनवाई का आग्रह किया गया था। हाईकोर्ट ने गहलोत से अदालतों में भ्रष्टाचार और वकीलों के जजमेंट लिखकर लाने के बयान का आधार पूछा है। गहलोत के बयान के बाद हाईकोर्ट में दायर याचिका में तर्क दिया गया था कि सीएम ने जजों के साथ वकीलों की प्रतिष्ठा को कम करने वाला बयान दिया है।
गहलोत ने अदालत की अवमानना की है, ऐसे में सीएम के खिलाफ अदालत की अवमानना को लेकर एक्शन होना चाहिए। याचिका में वकीलों के आंदोलन का भी हवाला दिया गया था। हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करने वाले वकील शिवचरण गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान से ज्यूडिशियरी की प्रतिष्ठा खराब हुई है। गहलोत का यह बयान अदालत की अवमानना की परिभाषा में आता है, इसलिए हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत प्रसंज्ञान लेकर अवमानना कर्ता को दंडित करे। बयान पर विवाद होने के बाद गहलोत ने सफाई देते हुए ट्वीट किया था। गहलोत ने लिखा था- मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वो मेरी निजी राय नहीं है।
मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान और उस पर विश्वास किया है। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों रिटायर्ड जजों और रिटायर्ड चीफ जस्टिस तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणियां की हैं, उस पर चिंता व्यक्त की है। मेरा न्यायपालिका पर इतना विश्वास है कि मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। मेरा स्पष्ट मानना है कि हर व्यक्ति को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और ज्यूडिशियरी पर विश्वास करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।
गहलोत ने कहा था- वकील लिखकर लाते हैं जजमेंट, बाद में वही फैसला आता है
गहलोत ने 31 अगस्त को जयपुर में मीडिया से बातचीत में कहा था कि आज ज्यूडिशियरी में भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा है। मैंने सुना है कि कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं, वही जजमेंट आता है। ज्यूडिशियरी के अंदर यह क्या हो रहा है? चाहे लोअर ज्यूडिशियरी हो या अपर। हालात गंभीर हैं। देशवासियों को सोचना चाहिए।