नकारात्मक शक्तियां होती है नष्ट, वातावरण होता है शुद्ध : श्रीसरजूदासजी महाराज
डेढ़ माह से रोजाना हो रहा हवन अनुष्ठान, नि:शुल्क यजमान बनें और कमाएं पुण्य लाभ
बीकानेर। आदिकाल से ही सनातन संस्कृति में सुख-सौभाग्य के लिए हवन-यज्ञ की परंपरा रही है। औषधीय युक्त हवन सामग्री से यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होता है तथा संक्रमण जैसी महामारियों से भी मुक्ति मिलती है। यह बात रामझरोखा कैलाशधाम के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने हवन आयोजन के दौरान कही। राष्ट्रीय संत श्रीसजूदासजी महाराज ने बताया कि विगत 19 दिसम्बर से रामझरोखा कैलाशधाम आश्रम में रोजाना हवन आयोजन प्रारंभ किया गया। रोजाना कम से कम एक यजमान हवन अवश्य करे ऐसी प्रबल इच्छा के साथ यह हवन अनुष्ठान प्रारंभ किया गया। यह हवन रोजाना सुबह 8 बजे से 9 बजे यज्ञाचार्य पं. सुरेश महाराज के सान्निध्य में किया जाता है।
विगत 50 दिनों में अब तक 90 यजमान हवन अनुष्ठान में शामिल हो चुके हैं। हवन हेतु यजमान का रजिस्ट्रेशन पूर्णत: नि:शुल्क किया जाता है। राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि जिस स्थान पर हवन किया जाता है, वहां उपस्थित लोगों पर तो उसका सकारात्मक असर पड़ता ही है साथ ही वातावरण में मौजूद रोगाणु और विषाणुओं के नष्ट होने से पर्यावरण भी शुद्ध होता है। शरीर स्वस्थ्य रहता है। क्योंकि हवन में काम में ली जाने वाली जड़ी बूटी युक्त हवन सामग्री, शुद्ध घी, पवित्र वृक्षों की लकडिय़ां, कपूर आदि के जलने से उत्पन्न अग्नि और धुएं से वातावरण शुद्ध तो होता ही है, नकारात्मक शक्तियां भी दूर भागती हैं। माना जाता है कि एक बार हवन करने से घर को एक सप्ताह तक किसी प्रकार के वायरस से मुक्त रखा जा सकता है।
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देवताओं को मिलती है आहुति…. सकारात्मक ऊर्जा का होता है प्रवाह
हवन यज्ञ का छोटा रूप है। किसी भी पूजा अथवा जप आदि के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति की प्रक्रिया हवन के रूप में प्रचलित है। यज्ञ किसी खास उद्देश्य से देवता विशेष को दी जाने वाली आहुति है। इसमें देवता, आहुति, वेद मंत्र, ऋत्विक, दक्षिणा अनिवार्य रूप से होते हैं। हवन हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है। कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता के निकट हवि पहुंचाने की प्रक्रिया को हवन कहते हैं। हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ है, जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती हैं। हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करने के बाद इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ (लकड़ी) आदि पदार्थों की आहुति प्रमुख होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि आपके आस-पास किसी बुरी आत्मा इत्यादि का प्रभाव है तो हवन प्रक्रिया इससे आपको मुक्ति दिलाती है। शुभकामना, स्वास्थ्य एवं समृद्धि इत्यादि के लिए भी हवन किया जाता है।