नौ दिन बरसेगी माँ की कृपा, दुर्गा सप्तशती पाठ व विशेष पूजन के साथ करें आराधना
प्रतिवर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होता है। इस बार 15 अक्टूबर 2023 यानि कल रविवार से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है। जाने-माने ज्योतिर्विद पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि इस दिन माता दुर्गा के साथ ही घट स्थापना और कलश स्थापना की जाती है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है। व्रत का संकल्प लेने के पश्चात ब्राह्मण द्वारा या स्वयं ही मिट्टी को पात्र में डालकर जौ या गेहंू बौया जाता है।
कलश की स्थापना के साथ ही माता का पूजन आरंभ हो जाता है। नवरात्र का श्रीगणेश शुक्ल पतिपदा को प्रात: काल के शुभमहूर्त में घट स्थापना से होता है। घट स्थापना हेतु मिट्टी अथवा साधना के अनुकूल धातु का कलश लेकर उसमे पूर्ण रूप से जल एवं गंगाजल भर कर कलश के ऊपर नारियल को लाल वस्त्र/चुनरी से लपेट कर अशोक वृक्ष या आम के पाँच पत्तों सहित रखना चाहिए। पवित्र मिट्टी में जौ के दाने तथा जल मिलाकर वेदिका का निर्माण के पश्चात उसके ऊपर कलश स्थापित करें। स्थापित घट पर वरूण देव का आह्वान कर पूजन सम्पन्न करना चाहिए। पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि नवरात्रि व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा कर कलश, षोडश मातृका, नवग्रह व वरुण, भगवान शंकर का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ और भैरव, गणेश पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। किसी कारणवश यह संभव नहीं हो तो देवी के नवार्ण मंत्र ú ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै का जाप करें। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज कराकर किया जाना चाहिए।
देवी मंदिर सजे, नौ दिन चलेंगे आयोजन
बीकानेर में वैष्णो धाम, पवनपुरी स्थित नागणेचीजी मंदिर, सुजानदेसर में काली माता मंदिर सहित अनेक मंदिरों में माता का विशेष पूजन व शृंगार होगा। नागणेचीजी मंदिर पुजारी आदित्य व मोहित शर्मा ने बताया कि मंदिर सुबह 5:15 बजे खुलेगा और दोपहर में दो बजे पट मंगल होंगे। फिर वापस शाम 4:30 बजे खुलेगा तथा रात्रि 11:45 पर पट मंगल होंगे।