सबसे ज्यादा 612 फैसले लिखने वाले सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने आखिरी वर्किंग डे भी 45 केस सुने
सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे, लेकिन उससे पहले 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी वर्किंग डे था। चंद्रचूड़ की विदाई के लिए सेरेमोनियल बेंच बैठी। जिसकी लाइव स्ट्रीमिंग हुई। इसमें उनके साथ जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, वरिष्ठ वकीलों के अलावा 10 नवंबर से सीजेआई का पद संभालने वाले जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल हुए। जस्टिस खन्ना देश के 51वें सीजेआई होंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को बतौर सिटिंग जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किए गए थे। अपने कार्यकाल में चंद्रचूड़ 1274 बेंचों का हिस्सा रहे। उन्होंने कुल 612 फैसले लिखे। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों में चंद्रचूड़ ने सबसे ज्यादा फैसले लिखे हैं। आखिरी दिन भी उन्होंने 45 केस की सुनवाई की। चंद्रचूड़ के 2 साल के कार्यकाल के बड़े फैसलों में आर्टिकल 370, राम जन्मभूमि मंदिर, वन रैंक-वन पेंशन, मदरसा केस, सबरीमाला मंदिर विवाद, चुनावी बॉन्ड की वैधता और सीएए-एनआरसी जैसे फैसले शामिल हैं। जस्टिस संजीव खन्ना बोले- इन्होंने मेरा काम आसान और मुश्किल दोनों कर दिया है। आसान इसलिए क्योंकि कई रेवोल्यूशन हुए हैं और मुश्किल इसलिए क्योंकि मैं उनकी बराबरी नहीं कर सकता, उनकी कमी हमेशा खलेगी। उनके यंग लुक की चर्चा सिर्फ यहां ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है।
ऑस्ट्रेलिया में बहुत से लोग मेरे पास आए थे और पूछा कि उनकी उम्र क्या है। खास बात यह है कि सीजेआई बनने वाली इकलौती पिता-पुत्र की जोड़ी जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ देश के 16वें सीजेआई थे। उनका कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक, यानी करीब 7 साल तक रहा। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उसी पद पर बैठे। जस्टिस चंद्रचूड़ पिता के 2 बड़े फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में पलट भी चुके हैं। चंद्रचूड़ के कार्यकाल में कोर्ट और ज्यादा हाईटेक हुआ। इनमें ई-फाइलिंग में सुधार, पेपरलेस सबमिशन, पेंडिंग केसेस के लिए व्हाट्सएप अपडेट, डिजिटल स्क्रीन, वाई-फाई कनेक्टिविटी, एडवांस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, पेंडिंग केस की लाइव ट्रैकिंग, सभी कोर्टरूम से लाइवस्ट्रीमिंग शामिल रही। लोगो और न्याय की देवी का रूप बदला सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में ‘लेडी ऑफ जस्टिसÓ को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने ऑर्डर देकर बनवाया। इसका उद्देश्य यह संदेश देना है कि देश में कानून अंधा नहीं है और यह सजा का प्रतीक नहीं है। इसके अलावा 1 सितंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी के वैलेडिक्ट्री इवेंट में सुप्रीम कोर्ट का फ्लैग और चिह्न भी जारी किया गया।