जानें कहाँ जाती है जब्त संपत्ति
ईडी, सीबीआई और चुनाव आयोग की टीमें भ्रष्चाचार के मामलों में छापेमारी करती हैं। आए दिन ऐसी खबरें लगातार सामने आती रहती है आपने भी अखबारों और टीवी समाचारों में हजारों करोड़ की नोटों की गड्डियां और कई किलो सोने-चांदी के आभूषण जब्त होने की फोटो और वीडियो भी देखा होगा। इन छापों के मद्देनजर ये सवाल यह उठता है कि आखिर केंद्रीय एजेंसी द्वारा जब्त कि हुई इस नगद राशि का करती क्या है और इस पर किसका अधिकार होता है।
छापेमारी के दौरान ईडी या सीबीआई नगद, सामग्री या प्रॉपर्टी की जब्ती करती है। इसके बाद उसका आकलन किया जाता है। जब्त किए गए सामान की एक विस्तृत रिपोर्ट या पंचनामा बनाकर फाइल किया जाता है। पंचनामा और जब्त सामान की डिटेल पर जिस व्यक्ति पर छापेमारी की गई है, उसके हस्ताक्षर होते हैं। इसके अलावा दो गवाहों के भी हस्ताक्षर इस पंचनामे पर लिए जाते हैं। सामान या जेवरात पर किसी भी तरह का निशान हो तो ईडी उसे सील किए हुए लिफाफे में रखती है, जिससे उसे सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सके। नियमों के अनुसार जब्त की गई संपत्ति को सरकार के वेयरहाउस में रखा जाता है। इसके अलावा कई बार जब्त किए गए पैसों को रिजर्व बैंक या फिर एसबीआई में सरकार के खाते में जमा कर दिया जाता है। इडी इन जब्त किए गए पैसों और संपत्तियों को अधिकतम 180 दिन तक अपने पास रख सकता है। छह महीने के दौरान उसे कोर्ट में इन संपत्तियों से जुड़े आरोपों को सिद्व करना होता है। नियमों के अनुसार कोर्ट में आरोप सही साबित होने पर संपत्ति सरकार के पास चली जाती है। मामला केंद्र सरकार से जुड़ा है तो पैसे को केंद्र सरकार के खाते में जमा होता है। वहीं, राज्यों से जुड़े मामले में जब्त रुपए को राज्य सरकार के खाते में जमा कराया जाता है। यदि श्वष्ठ इन आरोपों को साबित नहीं कर पाती है तो संपत्ति वापस उस व्यक्ति को दे दी जाती है, जिससे जब्त की गई थी।