जानें पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हिंदू धर्म में हर साल कई बड़े व्रत-त्योहार आते हैं। इन व्रत त्योहारों का अलग-अलग महत्व होता है। वहीं, संतान के लिए रखे जाने वाले सावन पुत्रदा एकादशी व्रत भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ये एकादशी व्रत पुत्र की कामना के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से जल्द ही संतान प्राप्ति होती है। साथ ही पुत्र पाने की इच्छा भी पूरी होती है। इस साल सावन पुत्रदा एकादशी 27 अगस्त 2023 को मनाई जाने वाली है।
शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि – 27 अगस्त 2023, प्रात:12.08 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 27 अगस्त 2023, रात 09.32 बजे
विष्णु जी पूजा मुहूर्त – सुबह 07.33 बजे से सुबह 10.46 बजे तक
द्वादशी तिथि समापन – 28 अगस्त, शाम 06.22 बजे
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत नियम
एकादशी व्रत के दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए। साथ ही दोपहर और रात्रि में भी जागरण करना चाहिए। एकादशी के दिन मन शुद्ध रखना चाहिए। इस दिन किसी को भी अपशब्द न बोलें, मन में बुरे विचार न लाएं। एकादशी व्रत के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। इससे पाप के भागी बनते हैं। इस दिन घर में सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए। निराहार व्रत रखकर ही पूजा करनी चाहिए। एकादशी व्रत के दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इस दिन तुलसी माता विष्णु जी के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
सावन पुत्रदा एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और फिर सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़क कर उस जगह को पवित्र करें। इसके बाद पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं। चौकी पर विष्णु जी की मूर्ति पूर्व दिशा में स्थापित करें। दाएं और कलश पर मौली बांधकर उसे स्थापित करें। उस पर लाल कपड़ा बांधें और उसकी पूजा करें। विष्णु जी का पंचामृत, गंगाजल आदि से अभिषेक करें और उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। इसके बाद हल्दी, कुमकुम, चंदन, इत्र आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। मीठे का भोग लगाएं। उसमें तुलसीदल जरूर रखें। पुत्रदा एकादशी की कथा सुनें। आरती के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। इसके बाद दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें।