अगर आपकी कुंडली में है काल सर्प दोष तो करें ये उपाय
बीकानेर। कालसर्प योग के बारे में जानकारी देते हुए बीकानेर के जाने-माने ज्योतिर्विद पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि ज्योतिष में कई प्रकार के अशुभ योग बताए गए हंै जिनमें से कालसर्प दोष को भी बहुत ही अशुभ माना गया है। किसी भी जातक की कुंडली मे कालसर्प दोष का निर्माण होने पर व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति का जीवन बहुत ही कष्टदायक, मानसिक चिंता में रहने वाला, आर्थिक रूप से भी परेशानी और पारिवारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
कालसर्प योग विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे- अनंत कालसर्प योग, कुलिक कालसर्प योग, वासुकी कालसर्प योग, संखपाल कालसर्प योग, पदम् कालसर्प योग, महापद्म कालसर्प योग, तक्षक कालसर्प योग, कर्कोटक् कालसर्प योग, संखचूड कालसर्प योग, घातक कालसर्प योग, विषधार कालसर्प योग, शेषनाग कालसर्प योग। ये दोष जीवन में कांटे के समान चुभते हैं। जिसके होने से बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं। नागों के आठ कुल बताए हैं। ऐसा बताया गया है कि पूर्व जन्म में ज्ञान या अज्ञान से सर्प को मारना व सताना, किसी प्रकार का कष्ट देना कालसर्प दोष बनता है। किसी भी प्रकार से अपने पूर्वजों की परम्परा का निर्वाह नहीं करना, श्राध नहीं करना, कुलदेवी, कुल देवता का पूजन बंद करना या पूजा नहीं करना। शास्त्रों में पितरों को सर्प योनि में माना गया है।
कुंडली में कब कौनसा ग्रह बनाता है कालसर्प योग
कालसर्प दोष तब होता है जब राहु और केतु के अंदर सातों ग्रहों का आ जाना। तो आइये अब हम जानते हैं बारह प्रकार के काल सर्प योग के बारे में कि कैसे बनता है ये योग और आपकी कुंडली में कौनसा बन रहा है कालसर्प योग।
- अनंत काल सर्प योग- यदि लगन में राहु व सप्तम में केतु हो
- कुलिक कालसर्प योग- यदि राहु द्वितीय में और केतु अष्टम मे हो।
- वासुकी कालसर्प योग- कुंडली में तृतीय भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो।
- शंखपाल कालसर्प योग- जब राहु चतुर्थ भाव में और केतु दशम भाव में हो।
- पदम् कालसर्प योग- यदि राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में हो।
- महापदम् कालसर्प योग- जब षष्टम भाव में राहु व द्वादश भाव में केतु हो।
- तक्षक कालसर्प योग- यदि राहु सप्तम में और केतु प्रथम भाव में हो।
- कर्कोटक कालसर्प योग- यदि राहु अष्टम भाव में और केतु द्वितीय भाव में हो।
- संखचूड कालसर्प योग- राहु नवम भाव में और केतु तृतीय भाव में हो।
10.घातक कालसर्प योग- जब राहु दशम भाव में और केतु चतुर्थ भाव में हो। - विषधर कालसर्प योग- यदि कुंडली में राहु एकादश भाव में हो और केतु पंचम भाव में हो।
12.शेषनाग कालसर्प योग- जब राहु द्वादश भाव में और केतु छठे भाव में हो।
इन उपायों से कालसर्प दोष होगा दूर
जिसकी कुंडली मे कालसर्प हो जिसके कारण उसका जीवन परेशानियों से घिर रहा हो तो अब घबराने की जरूरत नहीं है। सब चिंता को छोड़कर दिए गए उपायों को करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाएगा। 1. राहु या केतु का नक्षत्र हो उस दिन अपनी सामर्थ्य अनुसार तेल, काले तिल, कंबल, नीला वस्त्र, गोमेद, सप्तधानय, छत्री, गेंहू, लौटा दान करें। 2.राहु का मंत्र ओम एम ह्रिम राहवे नम:। और केतु का मंत्र ओम ह्रिम एम केतवे नम: का जाप किसी मंदिर में रात्रिकालिन करें या किसी ब्राह्मण से संकल्प भरवाकर करायें। 3. रुद्राक्ष माला से महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख जाप या नित्य 108 बार जाप करना व साथ ही दशांस हवन करना चाहिए।
4. तांबे, चांदी व सोने के नाग-नागिन लेकर शिवालय में जाकर शिवपिंड के पास नाग-नागिन नारियल पर बांध कर रखें और रुद्र अभिषेक करें व नवनाग स्तोत्र का पाठ करें। उसके बाद नाग नागिन को नारियल सहित बहते पानी में छोड़ दें। 5.ऊन के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से नाग मंत्र गायत्री का जप करना चाहिए। ‘ऋनवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्Ó 6. नाग बलि और कालसर्प दोष की पूजा किसी विद्वान ब्राह्मण से कराएं। 7. सर्प पकड़े हुए मोर व गरुड़ का चित्र अपने पूजा घर में लगाकर पूजा करें। 8. अपने वजन के हिसाब से गायों को घास व गुड़ खिलायें। 9. श्राद्ध पक्ष में पितरों का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करें और बहिन बेटियों को भोजन कराएं। 10. त्रयम्बकेश्वर, नाशिक, उज्जैन व कालहस्ति में कालसर्प दोष की शांति कराएं। 11.कुष्ठ रोगी, असहाय लोग, श्रमिक वर्ग की सेवा करें। 12. जिन शिव मंदिर में सर्प नहीं हो वहां तांबे का सर्प चढ़ायें और मनसा देवी का मानसिक पूजन करें। 13. जौ के दाने पक्षियों को खिलाए। ये उपाय करने से आपको निश्चित ही सफलता मिलेगी।