नमस्ते-गुड मॉर्निंग की जगह बच्चे कहेंगे जय रामजी
आगामी नए शिक्षा सत्र में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी किताबों की जगह चौपडिय़ां, पेेंसिल की जगह सीसपेण, वहीं नमस्ते-गुड मोर्निंग की जगह अभिवादन में जै रामजी कहते मिलेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-20 में आगामी नए शिक्षा सत्र से प्रदेश के जिलों में सरकारी विद्यालयों में कक्षा प्रथम से पांचवीं तक के विद्यार्थियों को मारवाड़ी, थली, चौराई, ढारकी, सिलावटी, मोडवाड़ी, देवड़ावाटी, खेराड़ी, हाडौती, शेखावाटी, वांगड़ी आदि स्थानीय मातृभाषा में पढ़ाने की तैयारी में है। शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रदेश के 9 जिलों में भाषायी सर्वेक्षण पूरा कर लिया है।
शेष जिलों में इसकी प्रक्रिया जारी है। भाषा बोलियों के जानकार अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दकोष के निर्माण कार्य में लगे हुए है। जिसमें फुटरो, राबड़ी, हबडको, छोरा-छोरी, वीद-वीदणी, अंगरकी, खाडका, हरपटिया, मेन मालिया, कूटणा, मोचो, डोंग, कागलों, धीणो, मारसा, खाटो, फटफटियों, तल्लियों री पेटी, समक, होंडो, भणकी, तोमड़ी, तगड़ी जैसे शब्द शामिल है। उम्मीद है कि इस प्रयोग से स्कूली शिक्षा के बुनियादी ढांचे में विश्वास जगेगा तथा बच्चों की स्कूलों में हिचकिचाहट खत्म हो सकेगी। सभी सरकारी स्कूलों में कार्यशालाओं के बाद भाषायी सर्वेक्षण का कार्य ऑनलाइन शाला दर्पण के माध्यम से कक्षा 1 से 5 के हिन्दी भाषा पढ़ाने वाले शिक्षकों पर यह सर्वेक्षण टूल प्रशासित किया गया। इस सर्वेक्षण उपकरण से घर की भाषा, परिवेश की भाषा, समूह साथी की भाषा, शिक्षक की भाषा बोलने व समझने को लेकर सर्वेक्षण किया गया। जो बहुभाषी शिक्षा नीति की तैयारी में काफी मदद मिलेगी व मददगार सिद्ध होगी।