सरकार की अनदेखी : खेजडिय़ां काटने का विरोध, कानून बनाने की मांग, 26 को बीकानेर बंद की घोषणा
21 दिसम्बर को 172 खेजडिय़ां काट दी, कोई गिरफ्तारी नहीं, अब तक लाखों खेजडिय़ां कटने की बात आई सामने
बीकानेर। जिले भर में काटी जा रही खेजडिय़ों से आहत विश्नोई समाज ने बीकानेर बंद का आह्वान किया है। पत्रकारों को सर्किट हाउस में जानकारी देते हुए हुए महासभा से जुड़े सुभाष ने बताया कि सोलर कंपनियों की ओर से लगातार जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में खेजडिय़ां काटी जा रही है। इसको लेकर विश्नोई समाज के लोगों व सर्वसमाज की ओर से कई बार धरने-प्रदर्शन किये गये। इतना ही नहीं बीकानेर कलेक्ट्रेट के सामने करीब दो महीने तक धरना दिया गया। विगत 9 नवम्बर को नागौर आगमन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने समाज के संतों के साथ गणमान्य जनों को लेकर आश्वस्त किया कि कानून बनाया जाएगा तथा सोलर कंपनियों को पाबंद किया जाएगा, लेकिन प्रदेश के मुखिया भी हमारी मांग की ओर ध्यान नहीं दे रहे हंै। परिणााम स्वरूप फिर 21 दिसम्बर की रात को जयमलसर के नोखा दैया गांव में 172 खेजडिय़ां काट दी गई। इस कृत्य को करने वालों के खिलाफ न तो नाल थाने में एफआईआर दर्ज की गई और न ही खेजडिय़ां को काटने वालों की गिरफ्तारी हुई। ऐसे में अगर 26 दिसम्बर तक 172 खेजडिय़ां को काटने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो बीकानेर बंद कि या जाएगा।
पूर्व पार्षद मनोज विश्नोई ने कहा कि बीकानेर बंद के बाद 30 दिसंबर को अमावस्या के दिन मुकाम में महासभा, पर्यावरण बचाने में लगी संस्थाओं के पदाधिकारियों की एक बैठक कर आरपार की लड़ाई पर मंथन किया जाएगा। इस अवसर पर मोखराम धारणियां, रामगोपाल विश्नोई रिछपाल फौजी, कृष्णा गोदारा, बुधराम, सज्जन बेनीवाल, श्याम खीचड़, हनुमान बेनीवाल, विजयपाल, हड़मानाराम, शंकर चौधरी, नृसिंह भाटी, शिवदान मेघवाल, ओमप्रकाश, रामप्रताप वर्मा, लालचंद, अशोक, रामेश्वर, सहीराम पूनिया, मनीष सोलंकी, हंसराज धायल, मुरली गोदारा, एम ताहिर खान, सत्यनारायण कुुलडिय़ा, अर्जुन डेलू, रामनिवास सियाग, हरिराम धायल सहित बड़ी संख्या में सर्वसमाज के लोग मौजूद रहे।
रासीसर में भी महापड़ाव की तैयारी
उधर रासीसर में भी महापड़ाव की तैयारी पर मंथन किया जा रहा है। रामगोपाल विश्नोई ने बताया कि सीएम के आश्वासन के बाद रासीसर महापड़ाव स्थगित कर उपचुनावों में भाजपा को सपोर्ट किया। लेकिन सीएम व भाजपा ने विश्नोई समाज के साथ धोखा किया है। जिसके चलते तीस तारीख की बैठक के बाद गांव-गांव इस अभियान को चलाकर एक बार फिर रासीसर में महापड़ाव डाला जाएगा और वहीं पर ही खेजड़ी वृक्ष को नहीं काटने संबंधित कानून बनाने के लिये आन्दोलन कर आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी। साथ ही विधानसभा का घेराव भी किया जाएगा।