जी20 में दुनिया को दिया सबका साथ-सबका विकास
नई दिल्ली। भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन का आगाज हो गया है। बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी वैश्विक नेताओं की अगवानी की। शनिवार को पीएम मोदी के स्वागत भाषण के साथ जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जी20 समिट के अध्यक्ष के रूप में पूरी दुनिया से विश्वास की कमी को एक-दूसरे पर भरोसे में तब्दील करने की अपील करता है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं आप सभी के समर्थन से अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं।
अफ्रीकी देश में आए भीषण भूकंप का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुख की इस घड़ी में पूरी दुनिया मोरक्को के साथ है, हम हर संभव मदद करने को तैयार हैं। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ष्श1द्बस्र-19 महामारी के बाद दुनिया विश्वास की कमी से जूझ रही है। युद्ध ने इसे और गहरा कर दिया है। अगर हम कोविड़-19 को हरा सकते हैं, तो हम युद्ध के कारण पैदा हुई विश्वास की कमी को भी दूर कर सकते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत जी20 के अध्यक्ष के रूप में पूरी दुनिया से विश्वास की कमी को एक-दूसरे पर भरोसे में तब्दील करने की अपील करता है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे दौर में जी रहे हैं, जब सदियों पुरानी समस्याएं जवाब मांग रही हैं। हमें मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास की अवधारणा दुनिया का मार्गदर्शन कर सकती है। अब समय आ गया है कि वैश्विक भलाई के लिए हम सब साथ मिलकर चलें।
पीएम मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए देश का नाम लेते समय ‘भारत शब्द का इस्तेमाल किया। इस दौरान पीएम मोदी के आगे रखी प्लेट पर भारत लिखा था। इन दिनों देश में इंडिया बनाम भारत को लेकर तगड़ी बहस चल रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इंडिया का नाम बदलकर भारत किया जा सकता है।
घोषणा पत्र की मुख्य बातें
- घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध पर व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति अपनाने का आह्वान किया गया। इस घोषणा पत्र में सीधे तौर पर रूस का नाम नहीं लिया गया, बल्कि यूक्रेन युद्ध लिखा गया है।
- वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला, मुद्रास्फीति और विकास के संबंध में यूक्रेन में युद्ध की मानवीय पीड़ा और उसके नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया।
- घोषणापत्र में कहा गया, हम संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले इस्तांबुल समझौते और तुर्किये के प्रयासों की सराहना करते हैं।
- सभी राज्यों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। किसी इलाके पर कब्जा करने के लिए ताकत के इस्तेमाल या किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ कार्य करने से बचना चाहिए।
- घोषणा पत्र में कहा गया है-परमाणु हथियारों का उपयोग या उपयोग करने की धमकी देना अस्वीकार्य होगा।
- जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर देशों से आग्रह किया गया है कि वे वैश्विक औसत तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस नीचे रखें, क्योंकि ये पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपर्याप्त है।
- घोषणा पत्र में सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में तेजी लाने के प्रयास बढ़ाने के बारे में भी बताया गया।
- 37 पन्नों के इस घोषणा पत्र में इंटरनेशनल टैक्स, आतंकवाद, अस्थिरता और मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करना, अधिक समावेशी दुनिया का निर्माण, भ्रष्टाचार से लड़ाई, भूख और कुपोषण से लड़ाई और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना जैसे मुद्दे को भी शामिल किया गया है।
- क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नीति और विनियमन, केंद्रीय डिजिटल मुद्रा, डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर भी बात की गई है।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को मिली सफलता का भी इसमें जिक्र किया गया है।