लोभ, मोह, क्रोध और काम से मुक्ति दिलाता है सत्संग : श्री सुखदेवजी महाराज
बीकानेर। गडिय़ाला स्थित नंदनवन गौशाला में गौसेवा को समर्पित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस रविवार को श्रीसुखदेवजी महाराज ने मल युद्ध (कुश्ती) और कुंवलिया पीड़ नामक हाथी के वध की घटना का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने श्रीकृष्ण और रुक्मिणी जी के विवाह से जुड़ी कथाओं को भी उजागर किया। श्रीसुखदेवजी महाराज ने बताया कि सुविधाओं का यदि दुरुपयोग करेंगे तो जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ेगा और दिनभर या देर रात तक टीवी देखना, पल-पल मोबाइल छेडऩा आदि आदतों को सुधारना चाहिए। जीवन में कुछ नियम होने चाहिए जो आपको सत्संग की ओर ले जाए।
मोबाइल सुविधा का साधन है लेकिन अनावश्यक चलाना बेहद दुखदायी है, जो भी सुविधा है तो उसका सद्पयोग करें। महीने में एक बार संत-महात्माओं को बुलाएं, सत्संग करवाएं। सत्संग और कथाओं में केवल हाजिरी नहीं, बल्कि ध्यान से सुनें तो ही आनन्द आएगा। सत्संग ही ऐसा माध्यम है जिससे लोभ, मोह और काम से मुक्ति मिलती है। आयोजन से जुड़े घनश्याम रामावत ने बताया कि 13 जनवरी सोमवार को कृष्ण-रुक्मिणी विवाह उत्सव का भव्य आयोजन किया जाएगा। कथा के दौरान गोर्धनदासजी महाराज ने गौमाता की रक्षा और गौपालन के लाभों से अवगत कराया। कथा यजमान मदनदान कीनिया ने व्यास पूजन किया। कथा में भंवर साध, श्रीलाल चांडक, शशि बिहानी, सुरेश राठी, आलोक थिरानी, विक्रम व्यास, घनश्याम रामावत, अशोक चांडक, अखज़़ी खत्री, गौपुत्र सेना बाप, दुर्गादान, बच्चन सिंह, लोकेश रामावत आदि गौभक्त उपस्थित रहे।