चंद्रमा पर लैंडिंग से पहले ही क्रेश हुआ रूस का लूना-25 स्पेस्क्राप्ट
रूस का लूना-25 स्पेसक्राप्ट क्रैश हो गया है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस लूना-25 की चंद्रमा पर लैंडिंग से पहले चंद्रामा सतह से टक्कर हो गई है। स्पेस एजेंसी ने एक बयान जारी कर बताया कि शनिवार दोपहर 2:57 बजे लूना-25 से संपर्क टूटा था। दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू की जाएगी। रूस ने 10 अगस्त को लूना-25 की लॉन्चिंग की थी और इसने चंद्रमा तक पहुंचने के लिए सबसे सीधे प्रक्षेप मार्ग का सहारा लिया है।
लूना-25 अपने लॉन्चिंग के 11 दिन के भीतर ही लैंडिंग की तैयारी कर रहा था। इसी के साथ रूस ने चंद्रमा मिशन में एक ऐतिहासिक वापसी की थी, रूस ने पहली बार पाच दशक पहले साल 10976 यानी सोबियत युग के समय लूना-24 को चंद्रमा पर भेजा था। 21 अगस्त को इसकी चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग होने वाली थी। लूना 25 मिशन का उद्देश्य चंद्र ध्रुवीय रेजोलिथ (सतह सामग्री) की संरचना और चंद्र ध्रुवीय बाह्यमंडल के प्लाज्मा और धूल घटकों का अध्ययन करना था। बता दें कि बुधवार को रूस का लूना-25 चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-3 के साथ शामिल हो गया था और यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी लैंडिंग के लिए तैयार था।
चांद से 25 किलोमीटर दूर चंद्रयान-3
वहीं दूसरी ओर भारत के महत्वाकांक्षी मिशन मून के तहत चंद्रयान-3 चांद के बेहद करीब पहुंच गया है। भारत का चंद्रयान-3 इतिहास रचने जा रहा है। रविवार देर रात जब पूरा देश 2 से 3 बजे के बीच नींद के आगोश मे जा चुका था, तब चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद के सबसे करीब पहुंच गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक अब चांद से इसकी दूरी मात्र 25 किलोमीटर रह गई है। इससे पहले वह 113 किमी & 157 किमी की ऑर्बिट में था। दूसरे डिबूस्टिंग ऑपरेशन (रफ्तार कम करने की प्रक्रिया) ने ऑर्बिट को 25 किमी & 134 किमी तक कम कर दिया है। अब चांद की सतह से विक्रम लैंडर मात्र 25 किलोमीटर है। अब बस 23 को सफल लैंडिंग का इंतजार है। लैंडिंग से पहले मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा। इसरो साइंटिस्ट्स का मानना है कि इस बार लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंड हो जाएगा।