अतिक्रमण तोड़ने गए दल का हुआ विरोध, बैरंग लौटी यूआईटी टीम… देखें वीडियो
बीकानेर। नगर विकास न्यास द्वारा अतिक्रमण तोडऩे के अभियान का विरोध करते हुए स्थानीय लोगों ने नगर विकास न्यास की टीम पर हमला कर दिया। इस दौरान कोई घायल नहीं हुआ लेकिन न्यास की एक गाड़ी के शीशे टूट गए। पत्थरबाजी भी हुई, जिससे घबराकर टीम के सदस्य एकबारगी वापस लौट गए हैं। जानकारी के अनुसार गंगा रेजिडेन्सी के सामने स्थित खुद खुदा कॉलोनी में हुए अतिक्रमण तोडऩे के लिए न्यास पिछले कई दिनों से चेतावनी दे रहा है। यहां कब्जों को तोडऩे के लिए पुलिस पैदल मार्च भी कर चुकी है। खुद संभागीय आयुक्त ने इस एरिया में आकर कब्जे हटाने के लिए सख्त निर्देश दिए थे। यूआईटी के तहसीलदार कालूराम मय टीम पुलिस बल के साथ रविवार सुबह यहां पहुंचे।
और लोगों को कब्जे हटाने के लिए कहा गया। इस बीच कहा सुनी हो गई और पत्थरबाजी शुरू हो गई। किसी ने एक पत्थर यूआईटी अधिकारियों की जीप पर दे मारा, जिससे उसके कांच टूट गए। जानकारी मिलने पर पुलिस का एक और दल यहां पहुंच गया। बाद में अधिकारियों ने वहां से निकलने में ही समझदारी मानी। दो अलग-अलग गाडिय़ों में अधिकारी और कर्मचारी वहां से निकल गए। इस दौरान भी एक महिला कार के आगे आ गई और कब्जे नहीं तोडऩे की बात करती रही। अधिकारियों ने नहीं तोडऩे का आश्वासन दिया और आगे निकल गए।
नगर विकास न्यास ने इस पूरे मामले की वीडियोग्राफी की है। ऐसे में दोषी लोगों के खिलाफ नयाशहर थाने में राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने का मामला दर्ज करवाया जा रहा है। हल्ला करने वालों में महिलाएं भी थी, जिनकी अब पहचान की जा रही है। घटना के बाद तक तीन थानों की पुलिस तय ही नहीं कर पाई कि आखिर किसका हल्का क्षेत्र है। कंट्रोल से मिली सूचना के बाद पहले नयाशहर थाना पुलिस की गाड़ी क्षेत्र में आई। किन्तु गंगाशहर का हल्का होने से राउंड लेकर चली गई। इस दौरान नाल थाला इलाके के सब इंस्पेक्टर भी मौका स्थल पहुंचे और गंगाशहर थाने का मामला बताकर मौका स्थल देख निकल लिए। दरअसल यह क्षेत्र करमीसर हल्के में आता है जबकि वास्तविक स्थिति सुजानदेसर रोड पर है। जिसके कारण पुलिस को हल्का क्षेत्र में परेशानी हुई।
क्षेत्रवासियों ने कहा- 12-15 वर्षों से रह रहे मजदूरों को बेघर करना न्यायसंगत नहीं
क्षेत्रवासियों ने बताया कि बिना कोई नोटिस बलपूर्वक यूआईटी प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई, जिसका विरोध किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे पिछले 12-15 वर्षों से यहां रह रहे हंै। कॉलोनी में अनेक जनों के पट्टे भी बने हुए हैं, बिजली-पानी के बिलों का भुगतान कर वे सरकार को राजस्व भी दे रहे हैं। ऐसे में अब अतिक्रमण के नाम पर तोडफ़ोड़ न्याय संगत नहीं है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि गैरखातेदारी भूमि भी है तो मजदूर वर्ग का आशियाना तोडऩे का अधिकार प्रशासन को बिल्कुल नहीं है। नोटिस अथवा कानूनी कार्यवाही की जा सकती है लेकिन मजदूरों को बेघर करना उचित नहीं है।