शिक्षा के भागीरथी रामजी व्यास के शैक्षिक प्रयास : 40 वर्षों में लाखों शहरी विद्यार्थियों को पढ़ाया शिक्षा व संस्कारों का पाठ

बीकानेर। जिन पर माँ सरस्वती की कृपा होती है वही उनके प्रतिनिधि बनते हैं। माँ सरस्वती का प्रतिनिधि होने से बड़ा कोई पद नहीं है। बीकानेर में माँ सरस्वती के प्रतिनिधि के रूप में शिक्षाविद् रामजी व्यास ने हजारों-लाखों विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की है। खासतौर पर बीकानेर के शहरी क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने वाले पहले व्यक्ति रामजी व्यास हैं जो विगत 4 दशकों से स्कूल-कॉलेज के माध्यम से अनपढ़ता के दंश को दूर कर रहे हैं। करीब 68 वर्षीय रामजी व्यास ने भागीरथी के रूप में अपना पूरा जीवन शिक्षा को समर्पित किया है। बच्चों को कैसे बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए नवाचार करना आज भी रामजी व्यास की दिनचर्या में शामिल है। शिक्षाविद् रामजी का कहना है कि संस्कारों भरी शिक्षा यदि प्रत्येक विद्यार्थी को दी जाए तो निश्चित रूप से अपराधों में कमी आएगी और देश का विकास भी निश्चित है।
व्यास ने बदला शिक्षा का पैटर्न, नवाचार को दी प्राथमिकता

विगत 40 वर्षों में शिक्षा पद्धति में काफी बदलाव हुआ है और अब समय के अनुसार टीचर्स और स्टूडेंट दोनों के व्यवहार व स्वभाव में भी परिवर्तन आया है। वर्तमान में बेसिक कॉलेज व आर्यन पब्लिक स्कूल के माध्यम से शिक्षा प्रदान कर रहे शिक्षाविद् व्यास ने बताया कि स्टूडेंट को कठोर दंड देने की परम्परा 40 वर्ष पूर्व बेसिक ने तोड़ दी थी, कारण रामजी व्यास की दूरदर्शिता रही। व्यास का मानना है कि विद्यार्थी दंड से जिद्दी बन सकता है, लेकिन स्नेहपूर्वक यदि समझाइश हो तो प्रत्येक स्टूडेंट ध्यानपूर्वक अध्ययन करता है।

जैसे-जैसे शिक्षा का दौर बढऩे लगा बेसिक में नवाचारों की शृंखला भी बढऩे लगी। बेसिक कॉलेज आज भी अपने स्टूडेंट्स को थ्योरी से अधिक प्रेक्टिकल ज्ञान प्रदान करता है। शिक्षा को समझने और जीवन में उपयोगी साबित होने की बात करने वाले शिक्षाविद् रामजी व्यास विद्यार्थियों को हर टॉपिक को केवल कण्ठस्थ नहीं करके उस विषय को व्यावहारिक रूप से समझने की बात कहते हैं। प्रतिभाओं का समय-समय पर सम्मान करना बेसिक की परम्परा रही है। कक्षा कोर्स के अलावा बेसिक कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की प्री कोचिंग भी दी जाती है।
टीमवर्क को प्राथमिकता, स्टाफ को समझें साथी

रामजी व्यास बताते हैं कि किसी भी कोई को एक अकेला व्यक्ति पूर्ण नहंीं कर सकता है। प्रभावी निर्देशन हो और निष्ठावान टीम के साथ यदि कार्य किया जाए तो सफलता निश्चित मिलती है। व्यास ने बताया कि आज भी अनेक कर्मचारी उनके साथ वर्षों से कार्य कर रहे हैं, अब वे लोग केवल कर्मचारी ही नहीं बल्कि बेसिक परिवार का हिस्सा बन चुके हैं।
विद्यार्थियों के साथ पहचान होना जरूरी

शिक्षाविद् रामजी स्वयं सरकारी अध्यापक रहे और कुछ वर्ष पहले वीआरएस लेकर पूर्णरूप से संस्थान में जुट गए। रामजी व्यास ने संस्थान के शिक्षकों व स्टाफ को विद्यार्थियों के साथ घुल-मिल व मित्रवत् रहने का मूलमंत्र दिया। व्यास का कहना था कि हर टीचर अपनी कक्षा के एक-एक विद्यार्थी को व्यक्तिगत रूप से जाने ऐसा प्रयास रहना चाहिए और उस विद्यार्थी को भी यह महसूस होना चाहिए कि उसके टीचर्स उसके घर-परिवार के सदस्यों से पहचान रखते हैं। स्टूडेंट से इंट्रेक्ट होना बेहद जरूरी है।
शिक्षा की यात्रा में परिवार का भरपूर योगदान

8 अगस्त 1955 को जन्मे रामजी व्यास के पिता भैरुबख्शजी व्यास उर्फ फन्ना महाराज पान की दुकान लगाते थे। संस्कारों की बात करें तो भैरुबख्शजी व्यास के पांचों पुत्रों को बेहतरीन शिक्षा दिलवाई और आज रामजी व्यास के सभी भाई सफलता के मुकाम पर हैं। पत्नी चंद्रकांता व्यास नवाचारों और शिक्षा पद्धति को और भी आगे बढ़ाते हुए रामजी व्यास के पुत्र अमित व्यास भी पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए शिक्षा के इस मार्ग पर अपनी यात्रा प्रारंभ कर चुके हैं। रामजी व्यास बताते हैं कि शिक्षा की इस यात्रा में परिवारजनों का भरपूर साथ रहा। जीवन के हर मोड़ पर परिवारजनों ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।
नशामुक्त हो शहर, कारगर साबित हो रहे बेसिक के प्रयास

व्यास ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में नशे की हवा शहर के अंदरुनी हिस्सों में भी फैलने लगी है। नशे की लत युवाओं का जीवन बर्बाद कर रही है, इस बात को ध्यान में रखते हुए नशे पर प्रतिबंध के लिए बेसिक परिवार ने बेहतरीन प्रयास किए हैं। स्कूल-कॉलेज कैम्पस में कभी भी कैंटिन तक की सुविधा इसलिए प्रदान नहीं की ताकि न स्टूडेंट घर से अल्पाहार के नाम पर खर्चा लाए और न ही किसी भी तरह के नशे की ओर आकर्षित हो। छुट्टी होने के बाद स्टाफ द्वारा आसपास गलियों में किसी भी विद्यार्थी का अनावश्यक खड़े रहने पर पूर्ण प्रतिबंध रहता था। यही कठोरता आज भी विद्यार्थियों के लिए श्रेष्ठ साबित हो रही है।
बेसिक कॉलेज एवं आर्यन स्कूल में एडमिशन…… यानि विद्यार्थी जीवन में सफलता की गारंटी

बेसिक कॉलेज के जनक रामजी व्यास का मानना है कि बीकानेर में शहरी क्षेत्र में शिक्षा का हर साधन-संसाधन उपलब्ध होना जरूरी है। इसी सोच के अनुरूप रामजी व्यास वर्ष 1985 से स्कूली शिक्षा व्यवस्था से जुड़े। स्कूली व्यवस्था का ढाँचा मजबूत होने के पश्चात् रामजी व्यास द्वारा उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ाया गया जिसके अन्तर्गत बेसिक पी.जी. कॉलेज एवं आर्यन पब्लिक सी.सै. स्कूल का संचालन किया जा रहा है। रामजी व्यास के निर्देशन में वर्तमान में केजी से पीजी शिक्षा व्यवस्था चल रही है उसके अनुसार अभिभावक द्वारा बच्चे को प्ले/नर्सरी में प्रवेश दिलाया जाता है और बच्चा स्नातकोत्तर स्तर (पी.जी.) पर रोजगार (प्लेसमेंट) के साथ अपने अध्ययन को पूरा करता है। यही कारण है कि वर्तमान में अभिभावकों का बेसिक कॉलेज एवं आर्यन स्कूल पर ऐसा विश्वास कायम हो गया है कि बेसिक कॉलेज एवं आर्यन स्कूल में एडमिशन करवाना बच्चे की सफलता की गारण्टी है।