काम, क्रोध सहित सभी विकारों से मुक्ति केवल सत्संग से ही संभव : श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज
बीकानेर। भगवान अनन्त हैं, उनके गुण-रूप भी अनन्त हैं और इसी तरह उनके दास भी अनन्त हैं। जो भगवान की ओर हमें ले जाता है उसे गुरु कहते हैं। यह उद्गार शनिवार को भक्तमाल कथा आयोजन समिति की ओर से श्रीरामानंदीय वैष्णव परम्परान्तर्गत श्रीमदजगद्गुरु मलूक पीठाधीश्वर पूज्य श्रीराजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने व्यक्त किए। भीनासर के मुरलीमनोहर मैदान में हजारों श्रद्धालुओं को श्रीभक्तमाल कथा का श्रवण करवाते हुए श्रीराजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने कहा कि जहां संतों के चरण रज गिरती है समझ लीजिए वहां पर भगवान की कृपा है। इसीलिए शास्त्र के अनुरूप हमारा घर-परिवार हो, तभी संतों की कृपा हमारे परिवार होती है। महाराजश्री ने कहा कि कथा इतने भाव से सुनो की दूसरों को भी सुनाएं और कथा का माहत्मय सार्थक हो पाए, क्योंकि मनोरंजन के अनेक साधन हो सकते हैं लेकिन आत्मरंजन के लिए केवल कथा है। आज कथा के दौरान विभीषण का स्मरण सुनाया गया।
महाराजश्री ने बताया कि राक्षस कुल में अवतरित विभीषण भी परम भक्त थे। कुछ भक्त ऐसे होते हैं जो भगवान के भक्त होते हैं और कुछ भक्त ऐसे होते हैं जो भगवान के तो भक्त होते ही हैं, लेकिन भगवान उनके भक्त होते हैं, आसान शब्दों में कहें तो कुछ ऐसे भक्त होते हैं जो भगवान से प्रेम करते हैं और कुछ भक्त ऐसे होते हैं जिनसे भगवान प्रेम करते हैं। ऐसे भक्त अतिदुर्लभ होते हैं। श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज ने कहा कि कोई भी व्यक्ति 24 घंटे निरन्तर काम, क्रोध, मोह और लोभ में नहीं रह सकता, लेकिन शांत, निर्मल और बिना किसी विकार के पूरे जीवन रह सकता है। काम क्रोध आदि विकार आरोपित हैं। इन सब विकारों से मुक्ति पानी है तो सत्संग ही एकमात्र उपाय है।
जिस अवस्था में हम निरन्तर रहते हैं वही हमारा स्वरूप है, वही हमारा स्वभाव है। साधक को एक ही बात समझ लेनी चाहिए। हमें केवल गुरु गोविन्द पर ही दृष्टि रखनी है संत भगवन का ध्यान करना है। आज कथा के दौरान रामझरोखा कैलाशधाम के पीठाधीश्वर संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने श्रीमदजगद्गुरु मलूक पीठाधीश्वर पूज्य श्रीराजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज का माल्यार्पण कर अभिनन्दन किया। आयोजन समिति के घनश्याम रामावत ने बताया कि आज के यजमान परिवार से पुष्पा देवी संदीप भाटी, प्रदीप भाटी, योगेन्द्र भाटी, जितेन्द्र स्वामी ने पूजन किय
बालकिशन राठी, मदनगोपाल राठी, रामेश्वर वैष्णव, वीरेन्द्र शर्मा, गोपाल दास राठी, मूलचंद कोठारी, कृष्णकांत स्वामी, झूमरमल, अमोलक, शिव गहलोत, कैलाश सोलंकी, मनोज चांडक, रामदेव अग्रवाल ने आरती की। कथा आयोजन में गजानंद रामावत, महादेव रामावत, मयंक भारद्वाज, श्रवण सोनी, नरसिंहदास मीमाणी, भंवरलाल साध, इंद्रमोहन रामावत, ओमप्रकाश स्वामी, गणपत उपाध्याय, श्रवण सोनी, रामसुखलाल, सत्यनारायण आदि ने व्यवस्थाएं संभाली।