अक्षयतृतीया पर हुए 21 पारणे, मुनिवृंदों ने बताई तप की महत्ता

गंगाशहर। आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी व मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी एवं शासन श्री साध्वी श्री मंजू प्रभा जी, शासन श्री साध्वी बसंत प्रभा जी, शासन श्री साध्वी श्री शशि रेखा जी, शासन श्री साध्वी श्री कुन्थु श्री जी, साध्वी श्री विशद प्रज्ञा जी, साध्वी श्री जिन बाला जी, साध्वी श्री लब्धि यशा जी के सान्निध्य में कार्यक्रम आयोजित हुआ। उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा कि जिनका मनोबल मजबूत होता है वह अपना इतिहास बना लेते हैं। मुनिश्री ने कहा कि वर्षीतप से बहुत लाभ होते है। आत्मा के लिए पूरा समय मिल जाता है। सामायिक, संवर, त्याग प्रत्याख्यान के माध्यम से बहुत अधिक कर्म निर्जरा कर सकते हैं। हमें वर्षीतप करने का प्रयास करना चाहिए। मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी, मुनिश्री मुकेश कुमार जी ने गीत व साध्वी श्री दीपमाला जी, साध्वी श्री गौरवप्रभा जी, साध्वी श्री करूणा प्रभा जी ने विचार अभिव्यक्त किये। एवं भगवान ऋषभ को भावांजली अर्पित की।
98 वर्षीय गौरादेवी सेठिया ने 38वें वर्षीतप का किया पारणा
वर्षीतप पारणा के महोत्सव में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी ने 46 वे, मुनि श्री मुकेश कुमार जी ने प्रथम, साध्वी श्री मृदुला कुमारी जी ने 20 वां, साध्वीश्री गौरवप्रभा जी ने 9वां, साध्वीश्री दीप मालाजी ने दूसरा वर्षीतप का पारणा किया। 98 वर्षीय गोरा देवी सेठिया ने 38वां वर्षीतप का पारणा किया। पांचीदेवी छाजेड़ ने 34वां, कंचनदेवी रांका ने 18वां, विनोददेवी सुराणा ने 16वां, सुंदरदेवी सामसुखा ने 14वां, राजू देवी बेद ने 14वां, पिंकी सुराणा ने 8वां, कुसुम चोपड़ा ने छठा, जतनलाल दुगड़ ने चौथा, इंदु देवी चोपड़ा ने तीसरा, कांता देवी बोथरा ने तीसरा, रेखादेवी सेठिया ने तीसरा, लक्ष्मी देवी रांका ने दूसरा, अभिलाषा बोथरा ने प्रथम, सरला देवी गोलछा ने प्रथम, सरोजदेवी दुगड़ ने प्रथम वर्षीतप का पारणा किया। कुल 21 पारणे हुए। तेरापंथी सभा गंगाशहर ने सभी वर्षीतप करने वाले श्रावक श्राविकाओं का साहित्य पताका और अभिनंदन पत्र से तप की अनुमोदना की गई।
