पुलिस हिरासत में आरोपी की मौत, आईजी सहित 8 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद
शिमला के कोटखाई में 2017 को 16 वर्षीय स्कूली छात्रा के बलात्कार और हत्या के आरोपी की हिरासत में मौत होने के मामले में चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आईजी जहूर हैदर जैदी और सात अन्य पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। दोषी पुलिस अधिकारियों में तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) मनोज जोशी, उप-निरीक्षक राजिंदर सिंह, सहायक उप-निरीक्षक दीप चंद शर्मा, हेड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह और रफी मोहम्मद के साथ कांस्टेबल रंजीत सटेटा शामिल हैं। आरोपी के वकीलों ने सजा पर सुनवाई के दौरान उनकी उम्र, पारिवारिक जिम्मेदारियों और अच्छी सेवा रिकॉर्ड का हवाला देते हुए नरमी बतरने की मांग की। लेकिन कोर्ट ने दोषी पुलिस अधिकारियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई साथ ही दोषियों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
बता दें कि इससे पहले सीबीआई अदालत ने 18 जनवरी को आरोपी सूरज की हिरासत में मौत से संबंधित मामले में 8 पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया था। ष्टक्चढ्ढ के सरकारी वकील के मुताबिक अधिकारियों को कई धाराओं के तहत दोषी पाया गया है। जिसमें हत्या, अपराधिक साजिश, गलत कारावास और झूठी गवाही देना शामिल है। बता दें कि 4 जुलाई 2017 को 16 वर्षीय लड़की लापता हो गई थी और दो दिन बाद उसका शव मिला था। पोस्टमार्टम के बाद पुष्टि हुई कि लड़की के साथ बलात्कर कर उसकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने जहूर जैदी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया। जांच दल ने सूरज समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया। लेकिन हिरासत में सूरज की मौत हो गई थी। पुलिस ने शुरुआत में लड़की की हत्या के मामले में एक अन्य आरोपी राजिंदर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। हिमाचल हाईकोर्ट ने बाद में दोनों मामलों को आगे की जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने जांच के बाद जहूर जैदी और अन्य पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2019 में इस मामले को शिमला से चंडीगढ़ शिफ्ट कर दिया।