जानें गणेश विसर्जन का शुभ मुहुर्त एवं सम्पूर्ण विधि
19 सितंबर को गणेश चतुर्थी से गणेशोत्सव शुरू हुआ , दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी को होगा। भाद्रपद के शुक्ल मास की चतुर्दशी के दिन अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बड़े ही धूम-धाम से लेकिन नम आंखों से बप्पा को विदाई दी जाती है, जिससे कि अगले बरस वो फिर से बड़े ही धूम-धाम से पधारें, इस बार अनंत चतुर्दशी 28 सितबंर को है।
विसर्जन का शुभ मुहूर्त 28 सितंबर को सुबह 10:42 बजे से दोपहर 3:11 बजे तथा दोपहर 4:41 बजे से शाम 9:12 बजे तक का है। सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और गणेश जी की पूजा कर भोग लगाएं। गणेश मंत्र का जाप व आरती करें। स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं । घर के किसी पुरुष से बप्पा का विसर्जन करवाएं।
पौराणिक मान्यता के मुताबिक महाभारत की रचना भले ही महर्षि वेदव्यास ने की थी लेकिन उसे लिखा था भगवान गणेश ने, दरअसल व्यास जी को लिखना नहीं आता था लेकिन भगवान गणेश से व्यास जी निवेदन किया कि वो ग्रंथ लिख दें। बप्पा मान को गए लेकिन उन्होंने व्यास जी के सामने शर्त रखी कि वो तभी लिखेंगे, जब लगातार काम होगा, अगर वो बीच में रूके तो वो लिखना छोड़ देंगे। व्यास जी राजी हो गए। महाभारत लिखने का काम दिन-रात शुरू हो गया लेकिन लिखते-लिखते गणेश भगवान को बुखार हो गया। जिसे कम करने के लिए व्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप लगा दिया, इससे ताप तो कम हो गया लेकिन मिट्टी के सूखने से उनका पूरा शरीर अकड़ गया लेकिन वो रूके नहीं और बिना कुछ खाए-पिए वो महाभारत लिखते रहे और दस दिन में वो पूरा ग्रंथ लिपिबद्ध हुआ। थकान और भूख की वजह से गणपति जी को फिर से बुखार हो गया जिस वजह से व्यास जी ने उन्हें नदी के ठंडे पानी में डाल दिया, जहां जाकर गणेश जी काफी आराम मिला, वो दिन अनंत चतुर्दशी का था, तब से इस दिन पर गणपति विसर्जन किया जाता है।